‘डिंपल भाभी’ पर मौलाना की अश्लील टिप्पड़ीं से अखिलेश आगबबूला ! आ गई पहली प्रतिक्रिया, सुनिए क्या कहा ?

मस्जिद में सांसद डिंपल यादव के लिबास को लेकर उठे सवालों ने सियासी हलकों में बवाल खड़ा कर दिया है। वहीं इस मुद्दे पर अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है। जब पत्रकारों ने इस विवाद को लेकर उनसे सवाल किया, तो उन्होंने तल्ख लहजे में पूछा – “क्या पहन कर आएं, बताओ?” यह विवाद तब शुरू हुआ जब मौलाना साजिद रशीदी ने डिंपल यादव के पहनावे पर अशोभनीय टिप्पणी की।
मस्जिद में डिंपल यादव की मौजूदगी पर उठा विवाद
बीते दिनों संसद परिसर के पास स्थित एक मस्जिद में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, उनकी पत्नी और सांसद डिंपल यादव तथा अन्य सपा सांसद पहुंचे थे। यह मस्जिद रामपुर से सांसद मोहिबुल्लाह नदवी द्वारा संचालित है, जो मस्जिद के इमाम भी हैं। इस मौके पर डिंपल यादव के परिधान को लेकर कुछ मौलानाओं, विशेष रूप से मौलाना साजिद रशीदी, ने सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताई।
अखिलेश यादव का जवाब: “जो लोकसभा में…”
28 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के दौरान जब पत्रकारों ने अखिलेश यादव से मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी पर सवाल पूछा, तो उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा – “क्या पहन कर आएं, बताओ?” जब पत्रकार ने स्पष्ट किया कि सवाल लोकसभा नहीं, मस्जिद में पहनावे को लेकर है, तो अखिलेश ने दो टूक जवाब दिया – “जो लोकसभा में पहनकर आते हैं, वही हमारी हर जगह की ड्रेस होगी।”
रशीदी की टिप्पणी पर दर्ज हुई एफआईआर, बीजेपी ने साधा निशाना
मौलाना साजिद रशीदी की टिप्पणी पर लखनऊ के विभूतिखंड थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। उधर, एनडीए गठबंधन के बीजेपी सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और इशारों में अखिलेश यादव पर वोट बैंक की राजनीति के कारण चुप्पी साधने का आरोप लगाया। बीजेपी का कहना है कि अखिलेश इस मुद्दे पर मौलवियों के दबाव में बयान नहीं दे रहे हैं।
डिंपल यादव की प्रतिक्रिया: “जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है”
मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा – “जो हो रहा है, अच्छा हो रहा है।” उन्होंने मौलाना की टिप्पणी की सीधी प्रतिक्रिया देने से बचते हुए मणिपुर में महिलाओं के साथ हो रही हिंसा का मुद्दा उठाया। उन्होंने सवाल किया – “बीजेपी के लोग मणिपुर की महिलाओं के अपमान पर चुप क्यों हैं?” डिंपल यादव ने मुद्दा बदलकर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया और मौलानाओं की टिप्पणी पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी।
ड्रेस कोड से ज्यादा बड़ा मुद्दा है सोच का
इस पूरे विवाद ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सार्वजनिक जीवन में महिलाओं के लिबास पर धार्मिक टिप्पणी स्वीकार्य है? एक तरफ जहां मौलवी वर्ग अपनी परंपराओं और मान्यताओं की दुहाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे महिला स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों से जोड़कर देख रहा है।