BJP विधायक रेप केस में हुए बरी, तो चौथी मंजिल से कूदने लगी पूर्व भाजपा महिला नेता, फिर जो हुआ..

सहारनपुर के गंगोह विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कीरत सिंह को शनिवार को उस समय बड़ी राहत मिली, जब एक 13 वर्षीय नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोपों से उन्हें गुर्जर समाज की जांच समिति ने क्लीनचिट दे दी। हालांकि, इस फैसले के बाद पूर्व भाजपा नेता कोमल चौधरी ने आत्महत्या का प्रयास किया, जिससे पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। यह पूरा मामला राजनीतिक, सामाजिक और व्यक्तिगत टकराव की जटिल परतों को उजागर करता है।

पंचायत में हुआ फैसला, विधायक को मिली क्लीनचिट

शनिवार को सहारनपुर में गुर्जर समाज की एक महापंचायत बुलाई गई, जिसमें समिति के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर और अन्य सदस्य—जनार्दन चौहान, डॉ. सुनील पवार, वीरेंद्र सिंह, विजेंद्र सिंह और अजय खटाना—की मौजूदगी में दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। आरोप लगाने वाली कोमल चौधरी और विधायक कीरत सिंह दोनों ही बैठक में मौजूद रहे।

तीन अहम बिंदुओं पर विचार करने के बाद समिति ने स्पष्ट किया कि यह मामला मुख्यतः पारिवारिक और राजनीतिक मतभेद से जुड़ा है। विधायक के खिलाफ लगाए गए चरित्रहीनता और यौन शोषण के आरोपों को समिति ने निराधार बताया क्योंकि कोमल कोई भी पुख्ता प्रमाण—जैसे ऑडियो, वीडियो या दस्तावेज—समिति के समक्ष पेश नहीं कर सकीं।

आत्महत्या की कोशिश से हड़कंप, पूर्व भाजपा नेता ने जताया असंतोष

जैसे ही समिति ने विधायक को क्लीनचिट दी, वहां मौजूद कोमल चौधरी भड़क गईं। उन्होंने पंचायत को ‘सेटिंग’ करार देते हुए चौथी मंजिल की बालकनी से कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की। यह मीटिंग तीसरी मंजिल पर चल रही थी, लेकिन वह सीढ़ियों से दौड़ती हुई ऊपर पहुंच गईं। मौके पर मौजूद लोगों ने तुरंत उन्हें पकड़कर बालकनी से खींच लिया और किसी तरह शांत करवाया।

नीचे आने के बाद कोमल फूट-फूटकर रोने लगीं और थोड़ी देर में बेहोश हो गईं। उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए पास के अस्पताल ले जाया गया।

मोनू पंडित ने सार्वजनिक रूप से मांगी माफ़ी

समिति ने बैठक में यह भी स्पष्ट किया कि कोमल चौधरी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने वाले मोनू पंडित की टिप्पणी निंदनीय है। मोनू को गुर्जर भवन बुलाकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए बाध्य किया गया। हालांकि, यह घटना भी पंचायत में तनाव बढ़ाने का कारण बनी।

कोमल चौधरी का आरोप— “सुनवाई के नाम पर दिखावा”

कोमल चौधरी का आरोप है कि समिति ने पहले से ही मन बना लिया था कि विधायक को बचाना है। उन्होंने कहा कि उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया और उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका भी नहीं मिला। वहीं, समिति का कहना है कि बिना सबूत के किसी पर गंभीर आरोप नहीं लगाए जा सकते।

सोशल मीडिया से शुरू हुआ विवाद, भाजपा से निकाली गईं कोमल

20 जून को कोमल चौधरी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर भाजपा विधायक कीरत सिंह पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि विधायक के इशारे पर उनके परिवार का उत्पीड़न हो रहा है, उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए गए और यहां तक कि एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण का भी आरोप लगाया।

इसके बाद 27 जून को कोमल ने एक महापंचायत बुलाई थी, जिसमें भारी बवाल हुआ। इसी घटना को पार्टी विरोधी गतिविधि मानते हुए भाजपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया। विधायक कीरत सिंह ने तब बयान दिया था कि “अगर कोई सबूत है, तो पेश किया जाए, वरना ये आरोप निराधार हैं।”

विधायक का बयान और कानूनी मोर्चे

विधायक कीरत सिंह ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि कोमल चौधरी किसी के इशारे पर राजनीतिक साजिश कर रही हैं। वहीं, रामपुर मनिहारान के उमाही कलां गांव निवासी सुधीर कुमार ने कोमल चौधरी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि उन्होंने विधायक की छवि को खराब करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर भ्रामक वीडियो डाला।

कीरत सिंह का राजनीतिक प्रोफाइल

गंगोह विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक कीरत सिंह वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के इंद्रसेन को 23,449 वोटों से हराकर विजयी हुए थे। उन्हें 1,16,582 वोट मिले थे जबकि सपा प्रत्याशी को 93,133 वोट। बसपा से नोमान मसूद, जो इमरान मसूद के जुड़वां भाई हैं, को 55,078 वोट प्राप्त हुए थे।

समाज, राजनीति और न्याय की टकराहट

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब राजनीतिक, पारिवारिक और सामाजिक सीमाएं धुंधली हो जाती हैं, तो सच्चाई तक पहुंचना कितना कठिन हो जाता है। एक ओर जहां समिति का फैसला विधायक को राहत देता है, वहीं कोमल चौधरी की प्रतिक्रिया इस बात की ओर इशारा करती है कि शायद न्याय की प्रक्रिया में कहीं न कहीं विश्वास की कमी रह गई।

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