Amazing: पिता के लिए मगरमच्छ से भिड़ गया ‘छोटा शेर’, बाप को ‘जबड़ों’ में से खींच लाया 10 साल का बच्चा..

आगरा जिले के बासौनी क्षेत्र में एक 10 साल के मासूम ने जो कर दिखाया, वह किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है। अपने पिता को मगरमच्छ के जबड़ों से खींचकर निकालना, वो भी बिना डरे और बिना सोचे—ये कहानी न केवल रोंगटे खड़े कर देती है, बल्कि एक बच्चे की साहसिकता को सलाम करने को मजबूर भी करती है। यह घटना शुक्रवार को झरनापुरा हरलालपुर गांव के पास चंबल नदी के किनारे घटी, जहां वीरभान नामक किसान मगरमच्छ के हमले का शिकार हो गया और उसके बेटे अजय ने अद्भुत सूझबूझ से उसे मौत के मुंह से बाहर निकाला।
पानी भरने गए किसान पर मगरमच्छ का हमला
झरनापुरा हरलालपुर गांव निवासी 35 वर्षीय किसान वीरभान शुक्रवार दोपहर अपने बेटे अजय और बेटी किरन के साथ चंबल नदी पर पीने का पानी भरने पहुंचे थे। जैसे ही उन्होंने पानी में बोतल डुबोई, छिपे मगरमच्छ ने अचानक उन पर हमला कर दिया और उनका पैर पकड़कर नदी में खींचने लगा। वीरभान चीखने लगे और मदद के लिए पुकारने लगे।
बेटे ने नहीं खोया होश, डंडा लेकर मगरमच्छ से भिड़ गया
10 वर्षीय अजय, जो नदी किनारे खड़ा था, पिता की चीख सुनकर बिना समय गंवाए पास में पड़ा बबूल का मोटा डंडा उठाया और पानी में कूद गया। उसने मगरमच्छ पर एक के बाद एक 10 से 12 वार किए। अजय के ताबड़तोड़ हमले से घबराकर मगरमच्छ ने पिता को छोड़ दिया और वापस पानी में चला गया। मगरमच्छ ने अजय की ओर भी हमला करने की कोशिश की, लेकिन बच्चा सतर्कता से बच निकला।
गंभीर रूप से घायल किसान को अस्पताल में भर्ती कराया गया
वीरभान के दाहिने पैर में मगरमच्छ के दांतों से गहरा जख्म हो गया था। ग्रामीणों की मदद से उन्हें पहले बाह के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें आगरा के अस्पताल में रेफर कर दिया गया। उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
अजय: चौथी कक्षा का छात्र, बना गांव का हीरो
अजय गांव के स्कूल में चौथी कक्षा का छात्र है। वह पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता की खेती में भी मदद करता है। शुक्रवार को खेत पर काम करते हुए वह अपने पिता के साथ पानी भरने गया था। आज उसकी बहादुरी ने पूरे गांव को गर्व से भर दिया है। ग्रामीण अजय को “छोटा शेर” कहकर संबोधित कर रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलने के बाद प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। चंबल नदी के किनारे मगरमच्छों की मौजूदगी को लेकर पहले भी अलर्ट जारी किए गए थे, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों ने नदी किनारे चेतावनी बोर्ड और गश्त की मांग की है।
एक बच्चे की बहादुरी ने रचा इतिहास
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि उम्र बहादुरी की मापदंड नहीं होती। 10 साल के अजय की सूझबूझ और साहस ने यह दिखा दिया कि सच्चा हीरो वही है जो निडर होकर दूसरों की जान बचाने के लिए खुद खतरा उठाए। अजय आज सिर्फ अपने पिता के लिए नहीं, पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गया है।