PC Modi कराएंगे उपराष्ट्रपति चुनाव, लग चुके हैं बेहद गंभीर आरोप.. मुंबई के कमिश्नर ने खोल दिया था कच्चा चिट्ठा !

देश के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्यसभा सचिवालय के सचिव जनरल पी.सी. मोदी को इस संवैधानिक चुनाव का रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया है। लेकिन यह नियुक्ति जितनी महत्वपूर्ण है, उतनी ही विवादों से घिरी हुई भी है। विपक्षी दलों ने पी.सी. मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए उनके अतीत से जुड़े गंभीर आरोपों को उठाया है।

कौन हैं पी.सी. मोदी?

पी.सी. मोदी 1982 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी हैं। वे पहले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन रह चुके हैं और मई 2021 में रिटायर हुए थे। लेकिन महज छह महीने बाद नवंबर 2021 में उन्हें राज्यसभा का नया सचिव जनरल नियुक्त कर दिया गया। इस नियुक्ति को लेकर कई सवाल खड़े हुए क्योंकि उन्हें पी.पी.के. रामाचार्युलु की जगह लाया गया, जो सिर्फ दो महीने पहले ही सचिव बने थे।

विवाद की जड़: विपक्ष ने क्यों जताई थी आपत्ति?

राज्यसभा सचिवालय की सचिव पद पर मोदी की नियुक्ति को लेकर कांग्रेस और विपक्षी सांसदों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि एक अनुभवी अधिकारी को अचानक हटाकर एक पूर्व नौकरशाह को लाना संसदीय परंपराओं और निष्पक्षता के खिलाफ है। यह कदम सत्तारूढ़ दल के इशारे पर उठाया गया, ऐसा आरोप कई विपक्षी नेताओं ने लगाया था।

गंभीर आरोप: मुंबई के कमिश्नर ने क्या कहा था?

पी.सी. मोदी के खिलाफ एक बड़ा आरोप तब सामने आया था जब मुंबई के तत्कालीन आयकर आयुक्त ने शिकायत दर्ज कराई थी कि मोदी ने उन्हें एक ‘संवेदनशील मामले’ को दबाने का मौखिक निर्देश दिया था। इस शिकायत के कुछ ही समय बाद उन्हें सेवा विस्तार दे दिया गया। यह क्रम देखकर कई अफसरों और विपक्षी नेताओं ने इसे संदिग्ध बताया।

उपराष्ट्रपति चुनाव में पी.सी. मोदी की भूमिका क्या होगी?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 66(1) के तहत, उपराष्ट्रपति का चुनाव दोनों सदनों के सांसदों द्वारा किया जाता है। इस चुनाव की निगरानी और संपूर्ण प्रक्रिया की जिम्मेदारी रिटर्निंग ऑफिसर की होती है। इसमें नामांकन प्रक्रिया, स्क्रूटनी, मतदान, मतगणना और परिणाम की घोषणा शामिल है। ऐसे में पी.सी. मोदी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।

क्या निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे?

विपक्ष पहले ही पी.सी. मोदी की नियुक्ति को लेकर संदेह जता चुका है। अब जब उन्हें उपराष्ट्रपति चुनाव जैसे संवैधानिक कार्य में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है, तो निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर नए सवाल उठ सकते हैं। खासतौर पर तब जब चुनावी प्रक्रिया खुद लोकतंत्र की नींव मानी जाती है।

संवैधानिक प्रक्रिया बनाम राजनीतिक विश्वसनीयता

पी.सी. मोदी की नियुक्ति और उन पर लगे पुराने आरोपों के मद्देनज़र यह देखना बेहद अहम होगा कि उपराष्ट्रपति चुनाव कितनी पारदर्शिता से संपन्न होता है। एक ओर जहां सरकार संविधान के तहत चुनावी प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है, वहीं विपक्ष इसे राजनीतिक दखल और पक्षपातपूर्ण रवैये से जोड़ रहा है।

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