बड़ी खबर: प्रशांत किशोर बीच सभा में घायल, पसलियों में लगी गंभीर चोट.. इलाज के लिए पटना ले जाया गया

बिहार में जन सुराज अभियान चला रहे चुनावी रणनीतिकार और जननेता प्रशांत किशोर की तबीयत शुक्रवार को अचानक बिगड़ गई। आरा में एक जनसभा के दौरान उनकी पसली में चोट लगने की जानकारी सामने आई है। स्वास्थ्य बिगड़ते ही उन्हें तत्काल सभा से हटाया गया और बेहतर इलाज के लिए पटना रवाना किया गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार्यक्रम के दौरान पीके लगातार असहज महसूस कर रहे थे।
पटना में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में होंगे PK
प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जन सुराज’ के नेताओं ने बताया कि फिलहाल वे पटना के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए जा रहे हैं, जहां उनकी पसली की चोट की मेडिकल जांच की जाएगी। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, मंच पर अधिक समय तक खड़े रहने और बार-बार यात्रा करने के कारण उन्हें फिजिकल स्ट्रेस का सामना करना पड़ा।
जन सुराज नेताओं ने दी जानकारी
जन सुराज के वरिष्ठ सदस्य उदय सिंह ने बताया कि प्रशांत किशोर ने स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के बावजूद जनसभा में उपस्थित होकर लोगों को संबोधित किया। लेकिन कार्यक्रम के दौरान जैसे-जैसे उनकी तबीयत बिगड़ती गई, डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें तुरंत पटना भेज दिया गया। उन्होंने कहा, “यह चोट गंभीर नहीं है, लेकिन सावधानी के लिए चिकित्सा निगरानी जरूरी है।”
बिहार बदलाव यात्रा पर असर?
प्रशांत किशोर की ‘बिहार बदलाव यात्रा’ इस समय अपने चरम पर है, जिसमें वे गांव-गांव जाकर लोगों से संवाद कर रहे हैं। हालांकि, इस अचानक स्वास्थ्य समस्या ने इस यात्रा की गति पर असर डाल सकता है। सूत्रों की मानें तो अब अगली कुछ सभाएं स्थगित की जा सकती हैं ताकि पीके आराम कर सकें और पूरी तरह स्वस्थ होकर दोबारा सक्रिय हो सकें।
क्या इस स्वास्थ्य संकट का राजनीतिक असर होगा?
बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर इस वक्त एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे न केवल सत्ता पक्ष को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि विपक्षी दलों के बीच भी ‘अलग राजनीतिक विकल्प’ के तौर पर देखे जा रहे हैं। ऐसे में उनका बीमार होना और इलाज के लिए जनसंपर्क से दूरी बनाना, आने वाले चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
आराम ज़रूरी, लेकिन वापसी भी उतनी ही अहम
फिलहाल, पीके का स्वास्थ्य और उनका ठीक होना प्राथमिकता है। जनता और समर्थकों को उम्मीद है कि वे जल्द स्वस्थ होकर फिर से बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में सक्रिय होंगे। स्वास्थ्य से जूझते हुए भी उनका जुझारूपन यह दर्शाता है कि प्रशांत किशोर न केवल एक रणनीतिकार, बल्कि एक समर्पित जननेता के रूप में उभर रहे हैं।