‘Land for Job’ केस में ‘लालू यादव’ को बड़ी राहत ! सुप्रीम कोर्ट के फैसले से RJD में खुशी का माहौल.. जानिए क्या कहा ?

पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को एक बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा की गई उस टिप्पणी को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17A के तहत मंजूरी का मुद्दा ट्रायल कोर्ट में उठाया जा सकता है।

यह फैसला न सिर्फ लालू यादव के लिए कानूनी राहत लेकर आया है, बल्कि यह भ्रष्टाचार कानून की संवैधानिक व्याख्या के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा – “ट्रायल कोर्ट नहीं कर सकता 17A पर फैसला”

बताते चलें कि लालू यादव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और उनकी टीम में शामिल उनके साथ इस केस में कानूनी टीम में शामिल वरुण जैन, अपराजिता जम्वाल, नवीन कुमार, सुमित सिंह और अखिलेश सिंह इस मामले की लंबे समय से पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि
“सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि धारा 17A के तहत जांच से पहले मंजूरी का मसला केवल संवैधानिक स्तर पर देखा जा सकता है, न कि ट्रायल कोर्ट के स्तर पर। कोर्ट ने कहा कि यह मसला गंभीर कानूनी व्याख्या से जुड़ा है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।”

इसके साथ ही अदालत ने लालू प्रसाद यादव की ट्रायल कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति की अनिवार्यता में छूट मिल गई है, जो उनके लिए एक और बड़ी राहत है।

इस मामले में लालू यादव को झटका

सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के बावजूद लालू प्रसाद यादव के खिलाफ जमीन के बदले नौकरी घोटाले (Land-for-jobs scam) में कानूनी संकट पूरी तरह टला नहीं है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट अपनी प्रक्रिया जारी रख सकता है, जिससे लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ निचली अदालत में सुनवाई चलती रहेगी। इससे यह संकेत मिलता है कि केस की गंभीरता को अदालत नजरअंदाज नहीं कर रही, और प्रक्रिया के तहत ट्रायल जारी रहेगा।

क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम?

यह मामला लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए सामने आया, जिसमें उन पर आरोप लगा कि उन्होंने रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले लोगों से ज़मीन लिखवा ली।

CBI और ED दोनों इस मामले की जांच कर रहे हैं। जांच एजेंसियों ने लालू यादव, उनकी बेटी मीसा भारती और कई अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

इस घोटाले ने न सिर्फ लालू परिवार की राजनीतिक छवि को झटका दिया, बल्कि विपक्ष को भी हमले का नया मुद्दा दे दिया।

धारा 17A: क्या है यह कानून?

Prevention of Corruption Act, 1988 की धारा 17A के अनुसार, किसी भी लोकसेवक के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले संबंधित प्राधिकरण से पूर्व स्वीकृति (Sanction) लेना आवश्यक होता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले यह टिप्पणी की थी कि इस मुद्दे को ट्रायल कोर्ट में भी उठाया जा सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत करार देते हुए खारिज कर दिया।

आगे क्या? हाईकोर्ट करेगा मुख्य याचिका पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वह इस केस की मुख्य याचिका का निपटारा शीघ्र और प्राथमिकता के आधार पर करे।

अब सभी की निगाहें दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस केस का अगला बड़ा पड़ाव तय होगा।

राजनीतिक गर्मी का अंदेशा

विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जहां लालू यादव को बड़ी कानूनी राहत मिली है, वहीं आगामी संसद सत्र में इस मुद्दे पर राजनीतिक घमासान और तेज़ हो सकता है। यह फैसला विपक्ष और सत्ता दोनों के लिए अहम राजनीतिक संकेत लेकर आया है।

भ्रष्टाचार कानूनों की व्याख्या पर गहरा असर

लालू यादव को मिली यह राहत उनके कानूनी संघर्ष में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से न सिर्फ उनकी स्थिति मजबूत हुई है, बल्कि यह आने वाले समय में भ्रष्टाचार कानूनों की व्याख्या पर भी गहरा असर डाल सकता है।

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