BJP ने नताओं को बताया घोडा, कहा – “बिकने को हैं तैयार”.. कर्नाटक में चल रही हॉर्स ट्रेडिंग, CM की कुर्सी पर जंग !

कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री पद को लेकर शुरू हुई सियासी गरमाहट ने एक बार फिर से सियासी घिरोहट को जनता के बीच ला दिया। भाजपा ने कांग्रेस के दो दिग्गजों — सीएम सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार — पर आरोप लगाया कि वे MLAs को पैसे से लिए खरीदने की तैयारी कर रहे हैं।
“गुटों के बीच गंवारा नहीं” – BJP का तंज
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं के मध्य “घोड़े बिकने को तैयार” की स्थिति बन रही है। उन्होंने कहा:
“डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों ही हॉर्स ट्रेडिंग में बिजी हैं… फिलहाल घोड़े बाजार में बिकने के लिए तैयार हैं। खरीददार भी रेडी हैं।”
यह टिप्पणी उस समय आई जब भाजपा ने जोरदार तरीके से संकेत दिए कि कांग्रेस के दो फ्लैगशिप नेता सत्ता को लेकर हथियारबंद होने की तैयारी में हैं।
डीके शिवकुमार – सत्ता की चाह में “चुटीले” बयान
दिल्ली से लौटने के बाद डीके शिवकुमार ने कानूनगो संघ के कार्यक्रम में कहा:
“जब आपको कुर्सी मिलती है तो उस पर बैठ जाओ, अवसर हाथ से जाने न दो… कुर्सी पर लड़ना आसान नहीं।”
यह विचक्षण भाषा भी एक राजनीतिक संकेत माना जा रहा है, जिसका इशारा सत्ता के संघर्ष की तरफ है।
अंदरूनी विवाद: 138 विधायक DKS के साथ?
कांग्रेस विधायक रविकुमार गौड़ा ने दावा किया कि उन्हें 138 MLAs का समर्थन डीके शिवकुमार को प्राप्त है। यह बयान भी मुद्दे को और गहराई देता है और विवाद को बढ़ाता है।
सिद्धारमैया का दावा — सत्ता मेरी ही रहेगी
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह का पावर-शेयरिंग एग्रीमेंट नहीं है और वे पूरा कार्यकाल पूरा करेंगे। उन्होंने AICC नेता रणदीप सुरजेवाला का हवाला देते हुए कहा की “सवाल ही पैदा नहीं है”।
कांग्रेस निष्कर्ष: अनुशासन पर जोर
निदेशक डीके शिवकुमार ने स्थानीय विधायकों को मीडिया में बयान देने से मना किया और कहा कि “जिसने भी मीडिया में बयान दिए, उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी”। सिद्धारमैया और डीके के बीच पार्टी को सच्चा एकजुट दिखाने की कोशिश जारी है।
BJP का आरोप: राज्य सरकार की कार्यशैली पर असर
भाजपा नेता और राज्यपाल रहे आर अशोका ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को “कांग्रेस का सुप्रीम नेता” कहा तथा आरोप लगाया कि सत्ता संघर्ष की वजह से शासन और विकास गतिविधियाँ प्रभावित हो रही हैं।
कर्नाटक में चल रहे सत्ता-घोटाले की वजह से:
- कांग्रेस दो गुटों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती से जूझ रही है।
- BJP लगातार आरोपों के ज़रिए अराजक छवि बनाने की कोशिश में है।
- भ्रष्टाचार और शासन पर प्रभाव आने की आशंका चौकाने वाली है।