kanwar 2025: दादी को पालकी में बैठाकर हरिद्वार से भरा जल, 240 km पैदल यात्रा.. दादी ने जो बोला, भावुक कर देगा

सावन माह की पावन कांवड़ यात्रा हर साल अनगिनत श्रद्धालुओं की भक्ति का प्रतीक बनकर सामने आती है, लेकिन इस बार हरियाणा के दो पोतों ने अपनी 70 वर्षीय दादी को पालकी में बैठाकर जो कांवड़ यात्रा की है, उसने सभी को भावुक कर दिया है। ‘कलयुग के श्रवण कुमार’ के रूप में प्रसिद्ध हो रहे विशाल और जतिन लोगों की श्रद्धा और सेवा भाव का अनूठा उदाहरण बन गए हैं।
70 वर्षीय दादी को पालकी में बैठाकर कर रहे हैं कांवड़ यात्रा
हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ के रहने वाले विशाल और जतिन अपनी दादी राजबाला को पालकी में बैठाकर हरिद्वार से कांवड़ यात्रा कर रहे हैं। पालकी के एक पलड़े में 70 वर्षीय दादी और दूसरे में उनके बराबर वजन का पवित्र गंगाजल रखा गया है, जिससे संतुलन बना रहे। यह नजारा बड़ौत-बुढ़ाना कांवड़ मार्ग पर जब लोगों ने देखा, तो हर कोई इन पोतों की तारीफ करने लगा।
हरिद्वार से दर्शन के बाद उठाई थी पालकी कांवड़
विशाल और जतिन ने बताया कि वे अपनी दादी को 21 जून को हरिद्वार लेकर पहुंचे थे। वहां उन्होंने उन्हें हर की पैड़ी और अन्य तीर्थ स्थलों के दर्शन कराए। इसके बाद गंगा स्नान कराने के बाद दादी को पालकी में बैठाकर कांवड़ यात्रा की शुरुआत की। यह उनके जीवन की दूसरी पालकी कांवड़ है, जिसे उन्होंने अपनी दादी की इच्छा पूरी करने के लिए उठाया है।
सेवा भाव से हर कोई हो रहा है प्रभावित
जहां आमतौर पर कांवड़ यात्रा में युवा गंगाजल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं, वहीं विशाल और जतिन ने अपनी दादी की सेवा को सबसे बड़ी भक्ति मानते हुए यात्रा की है। उनके इस भाव ने उन्हें ‘कलयुग के श्रवण कुमार’ बना दिया है। जगह-जगह लोग फूलों से उनका स्वागत कर रहे हैं और सेवा भाव की सराहना कर रहे हैं।
दादी राजबाला बोलीं- भगवान सबको ऐसे पोते दे
70 वर्षीय दादी राजबाला पालकी में बैठकर बेहद भावुक दिखीं। उन्होंने कहा, “मेरे पोते मुझे इतना लंबा सफर करा रहे हैं, यह मेरे लिए गर्व की बात है। जब लोग मेरी और मेरे पोतों की तारीफ करते हैं तो मेरा मन बहुत प्रसन्न होता है। भगवान सबको ऐसे पोते दे।”
बचपन से किया पालन-पोषण
विशाल ने बताया कि उनके पिता अयोध्या में नौकरी करते हैं और वह खुद दसवीं के बाद कपड़ों का काम करते हैं। उन्होंने कहा, “मेरी दादी ने ही बचपन से मुझे पाला है। आज मैं आत्मनिर्भर हूं, तो मेरा फर्ज है कि उनकी हर इच्छा पूरी करूं। यही मेरी असली भक्ति है।”
कांवड़ियों को दिया संदेश
विशाल ने कांवड़ यात्रा कर रहे अन्य श्रद्धालुओं को संदेश देते हुए कहा कि यात्रा के दौरान कोई नशा न करें और सड़क पर चलते समय सावधानी रखें। कई बार हादसे हो जाते हैं, इसलिए सभी को सतर्क रहना चाहिए।
भगवान महादेव की कृपा से पूरी होगी दादी की इच्छा
जतिन ने कहा कि उन्होंने पिछले साल भी दादी के साथ कांवड़ यात्रा की थी और इस बार भी संकल्प लिया है कि वह महाशिवरात्रि (23 जुलाई 2025) तक बहादुरगढ़ पहुंचकर शिवालय में गंगाजल से भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे। उन्होंने कहा, “यह सब महादेव की कृपा और दादी मां का आशीर्वाद है।”