यूपी का गजब हाल ! मंत्री जी से बिजली कटौती की शिकायत करने पहुंचे लोग, जवाब में मिला – “जय श्री राम”

उत्तर प्रदेश में बिजली संकट एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह सिर्फ अंधेरा नहीं बल्कि ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा की प्रतिक्रिया है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें मंत्री जी बिजली आपूर्ति की शिकायतों के बीच “जय श्री राम” और “जय बजरंग बली” के नारे लगाते हुए मौके से रवाना हो जाते हैं। इस घटना ने पूरे प्रदेश में बिजली आपूर्ति व्यवस्था की विफलता और सत्ता की संवेदनहीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला: सुल्तानपुर के सूरापुर की जनता परेशान
10 जुलाई 2025 को ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा सुल्तानपुर के सूरापुर कस्बे में पहुंचे थे। वहां स्थानीय व्यापारियों ने खुले तौर पर शिकायत की कि क्षेत्र में महज तीन घंटे ही बिजली मिल रही है।
व्यापारियों ने सबस्टेशन की क्षमता बढ़ाने, पुराने जर्जर तारों को बदलने और ग्रामीण व शहरी फीडर को अलग करने की मांग की। लेकिन इन सब सवालों के जवाब में मंत्री जी ने संक्षेप में “ठीक है, देखते हैं” कहा और फिर जय श्री राम, जय बजरंग बली के नारे लगाकर गाड़ी में बैठकर निकल गए।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड: “धर्म जनता के लिए अफीम है”
इस वायरल वीडियो के बाद ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। कई यूजर्स ने इसकी तुलना कार्ल मार्क्स के उस कथन से की जिसमें उन्होंने कहा था कि “धर्म जनता के लिए अफीम होता है।”
यह सवाल भी उठने लगा कि क्या मंत्री जी धार्मिक नारों के जरिए जनता के असली मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं?
https://twitter.com/theskindoctor13/status/1943511274878362069
अरविंद शर्मा का प्रोफाइल: IAS से मंत्री तक का सफर
अरविंद कुमार शर्मा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी और पूर्व IAS अधिकारी रह चुके हैं। 2022 में उन्हें विधान परिषद के जरिए सीधे ऊर्जा जैसे संवेदनशील मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।
हालांकि, उन्हें मंत्री बनाने में भी बीजेपी के भीतर खींचतान हुई थी और जानबूझकर देरी की गई थी। यह घटनाएं उनके प्रशासनिक प्रभाव और राजनीतिक स्वीकार्यता दोनों पर सवाल खड़े करती हैं।
पहली बार नहीं है विवाद: अंधेरे में भाषण और मोबाइल से चप्पल ढूंढी
मार्च 2025 में मऊ ज़िले में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान बिजली चली गई थी और मंत्री जी को अंधेरे में भाषण देना पड़ा।
स्थिति इतनी बदतर थी कि उन्हें अपनी चप्पल मोबाइल की फ्लैशलाइट से ढूंढनी पड़ी। इसके बाद विभाग ने चार अधिकारियों को सस्पेंड किया, लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार अब तक नहीं दिखा।
बिजली विभाग की दुर्दशा: कब सुधरेगा सिस्टम?
2022 में मंत्री जी ने खुद विधानसभा में स्वीकार किया था कि प्रदेश की बिजली लाइनों की हालत बेहद खराब है—जर्जर पोल, ओवरलोड ट्रांसफॉर्मर और गिरती सप्लाई व्यवस्था।
सुल्तानपुर के व्यापारी भी इन्हीं समस्याओं की शिकायत कर रहे थे, लेकिन समाधान की जगह नारों में मामला दबा दिया गया।
सरकारी योजनाएं और हकीकत: RDSS पर सवाल
योगी सरकार ने Revamped Distribution Sector Scheme (RDSS) के तहत 44,000 करोड़ रुपये के निवेश का दावा किया है, लेकिन उसका असर ज़मीनी हकीकत में नजर नहीं आता।
काम की धीमी रफ्तार, पुराने उपकरण और कर्मचारियों की कमी बिजली व्यवस्था की जड़ में हैं।
बिजली चोरी और लाइन लॉस: सच्चाई छुपाई नहीं जा सकती
2022 में रामपुर में 59 मंदिरों और 115 मस्जिदों पर बिजली चोरी का आरोप लगा था।
2024 में मंत्री जी ने विधानसभा में कहा कि बिजली चोरी की वजह से सरकार को 47,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी पड़ रही है।
लाइन लॉस भी 40% तक पहुंच चुका है, जो सप्लाई में भारी बाधा बनता है।
क्या योगी सरकार बेहतर है? तुलना अखिलेश सरकार से
2012-17 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने प्रति वर्ष औसतन 9.55 लाख कनेक्शन दिए, जबकि योगी सरकार ने 35.2 लाख कनेक्शन सालाना दिए।
ग्रामीण बिजली आपूर्ति 12.25 घंटे से बढ़कर 17.43 घंटे हुई।
बिजली चोरी 40% से घटकर 24% तक आई है।
फिर भी इन आँकड़ों का कोई अर्थ नहीं जब जमीनी स्तर पर व्यापारी केवल तीन घंटे बिजली की सप्लाई की शिकायत कर रहे हों।
‘नारों से नहीं, सुधार से मिलेगी राहत
उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था को धार्मिक नारों से नहीं, ईमानदार क्रियान्वयन और जवाबदेही से सुधारने की जरूरत है।
अरविंद शर्मा जैसे वरिष्ठ अधिकारी जब जनता की शिकायतों पर भावनात्मक नारों से बच निकलते हैं, तो यह प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है।