निमिषा प्रिया केस: क्या फांसी के पीछे है तलाल का जाल? बनवाए थे फर्जी शादी के सर्टिफिकेट! असल वजह आई सामने..

केरल की 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में तालाल अब्दो महदी की हत्या के जुर्म में मौत की सजा मिली है और इस मामले की सुनवाई 16 जुलाई को तय है। यमन की हुती सरकार द्वारा आयोजित यह मामला कई मोड़ों और विवादों से गुज़र चुका है, जो भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। घटना की पृष्ठभूमि और आगामी घटनाक्रम पर एक नजर डालते हैं।
नर्स से क्लिनिक साझीदार तक — कहानी की शुरुआत
निमिषा प्रिया सनुआ में 2011 से नर्स के रूप में काम कर रही थीं। 2014 में गृहस्थ जीवन के चलते उनका परिवार वापस केरल लौट गया, लेकिन उन्होंने यमन में क्लिनिक शुरू करने का निर्णय लिया। 2015 में उन्होंने तालाल अब्दो महदी के साथ मिलकर “अल-अमान मेडिकल क्लिनिक” खोली।
तालाल का उत्पीड़न और पासपोर्ट विवाद
तब से ही निमिषा आरोप लगाती रही कि तालाल ने उनके दस्तावेज ज़ब्त कर लिए और उन्हें शारीरिक, मानसिक दोनों रूप से प्रताड़ित किया। उसने क्लिनिक का प्रबंधन अपने नाम किया और शादी का दस्तावेज़ फर्जी दाखिल किया, जिससे निमिषा को “पत्नी” बताया जाने लगा।
नाबायलेंस और मौत — सेडेटिव लगे इंजेक्शन का नियोजन
जुलाई 2017 में एक जेल विज़िट के दौरान निमिषा ने कथित तौर पर पासपोर्ट वापस पाने की नीयत से तालाल को केटामाइन से सेडेट करने हेतु इंजेक्शन लगाया। लेकिन यह ओवरडोज़ साबित हुआ और तालाल की मौत हो गई। इसके बाद उसने सहयोगी नर्स हनान की मदद से शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया।
गिरफ्तारी और फांसी की सजा
निमिषा और उसकी मददगार हनान को अगस्त 2017 में पकड़ा गया। 2020 में यमन की स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने नवंबर 2023 तक बरकरार रखा।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
भारतीय सरकार ने यमन के साथ संवाद जारी रखा है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, वह लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट ने निमिषा का मामला सुनने के लिए 14 जुलाई की सुनवाई तय की है, ताकि संभवतः मौत की सजा पर रोक लग सके।
रक्तदान (दिय्याह) का विकल्प बचाव की अंतिम उम्मीद
यमन की शरीयत कानून के तहत, पीड़ित परिवार की सहमति से “रक्तदान” अथवा ‘blood money’ की पेशकश से फांसी टाली जा सकती है। भारतीय परिवार एवं Save Nimisha Priya Action Council ने $1 मिलियन की राशि की पेशकश की है, लेकिन अभी तक तालाल के परिवार से कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया।
परिवार की विनती: ‘मां, पति-पुत्री की आस, भारत से अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग’
निमिषा की मां प्रेमा कुमारी यमन में बैठी हुई हैं, परिवार बचाव के लिए लड़ रहा है। पति टोमी, केरल में ऑटो चलाकर जीवनयापन कर रहे हैं। 12 साल की पुत्री मिशेल से उनकी मुलाक़ात महीनों से नहीं हो पाई है।
न्याय, मानवता और कूटनीति के बीच जंग
यह मामला सिर्फ हत्या या गुंडागर्दी का नहीं है — यह एक इमोशनल, कूटनीतिक और कानूनी पहेली है। 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और 16 जुलाई को संभावित फांसी की तिथि के बीच भारत सरकार, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और यमन की अदालतों की सक्रिय भूमिका उम्मीद जगाती है। न्याय और दिल की लड़ाई जारी है।