Shocking: 80 लाख की प्रॉपर्टी बेची, ऑनलाइन गेम में पैसे हारा.. फिर प्रधान के बेटे ने किया वो, जिसकी उम्मीद..

एटा के देहात कोतवाली क्षेत्र के गांव जिरसमी में शुक्रवार सुबह पता चला कि सतेंद्र सिंह के 38 वर्षीय बेटे यतेंद्र ने नशे की तरह ऑनलाइन गेमिंग में लिप्त होकर 80 लाख रुपये की संपत्ति गवां दी थी। कर्ज और मानसिक दबाव से तंग आकर उसने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

परिवार और पृष्ठभूमि

यतेंद्र एक कार चालक था, जिन्होंने बुकिंग पर वाहन चलाना शुरू किया था।

सतेंद्र और उनकी पत्नी गांव की प्रधान रह चुकी हैं, पर परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से अच्छी थी।

मंगलवार रात यतेंद्र घर लौटा और सीधे अपने कमरे में चला गया; थोड़ी देर बाद माता-पिता ने फंदे पर लटका शव देखा।

गहरा कर्ज और मानसिक तनाव

पोस्टमार्टम के बाद भाई चन्द्रकेतु ने बताया कि यतेंद्र ने ऑनलाइन गेमिंग में हारने के कारण करीब 80 लाख रुपये का कर्ज लिया था।

शुरुआत में 30 लाख रुपये से कर्ज जुड़ा, लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता चला गया।

साहूकारों द्वारा उधारदाताओं की लगातार दबावपूर्ण फोन कॉल और घर आना यतेंद्र को मानसिक रूप से कमजोर कर गया ।

पुलिस की पड़ताल और अगले कदम

कोतवाली देहात पुलिस ने आत्महत्या का केस दर्ज करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है, और जांच के दौरान ऑनलाइन गेमिंग ऐप की भूमिका पर भी गौर किया जाएगा।

ऑनलाइन गेमिंग के खतरों पर समाज का ध्यान

रैकेट की तरह फैलता हुआ ऑनलाइन गैंबलिंग युवाओं को फँसाने वाला जाल बन चुका है।

पिछले कुछ महीनों में इसी प्रकार के बड़े आर्थिक घाटे के कारण आत्महत्या की घटनाएं कई राज्यों से सामने आई हैं, जैसे कर्नाटक, कर्नाटक में ही एक छात्र ने Rs. 80 लाख की हानि के बाद आत्महत्या की थी ।

पीड़ित परिवारों की मानसिक और सामाजिक पुनर्वास की व्यवस्था अभी भी कमजोर है।

सरकार और पाठकों के लिए सुझाव

नियमित जागरूकता अभियान: शिक्षा संस्थानों, पंचायतों व मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन गेमिंग की लत और उसके खतरों की जानकारी देना आवश्यक है।

कानूनी रूप से पाबंदियाँ: खेल कंपनियों पर कर्ज़ पर खेलने की मनाही, उम्र सीमा, खर्च की सीमा जैसे अनुशासनात्मक उपाय लागू किए जाने चाहिए।

मानसिक सहायता केंद्र: तनाव और डिप्रेशन के शिकार युवाओं के लिए तुरंत सहायता – जैसे हेल्पलाइन, काउंसलिंग, फ्री थेरेपी।

परिवारों की भूमिका: वित्तीय निर्णयों में पारदर्शिता, समय-समय पर निवेश और खर्च को ट्रैक करना, ताकि किसी प्रकार का चक्र शुरू होने से पहले रोक लग सके।

यतेंद्र की ये दर्दनाक आत्महत्या हमें खतरे की घंटी सुनाती है। 80 लाख का आर्थिक ब्रह्माण्ड उसकी उम्मीदों और परिवार के सपनों को क्षत-विक्षत कर गया। ऐसे हादसों को रोकने के लिए सरकारी नीतियों, साइबर सुरक्षा और सामाजिक चेतना को एक साथ मजबूत करना सफलता की ही मंजिल है।

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