अखिलेश यादव ने JPNIC पर क्यों कहा – “बर्बाद कर दिया, अब बिहार में वोट कैसे मांगेंगे ?”, जानिए वजह..

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को राजधानी लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने जेपीएनआईसी (जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर) को लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंपे जाने के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि “जो लोग जेपीएनआईसी को बर्बाद कर रहे हैं, वे अब बिहार में जयप्रकाश नारायण के नाम पर वोट कैसे मांगेंगे?”
एलडीए को सौंपना सरासर अपमान: अखिलेश
अखिलेश यादव ने जेपीएनआईसी पर सरकार के फैसले को लेकर नाराजगी जताते हुए कहा कि “मैं जेपीएनआईसी का फाउंडर मेंबर हूं। इस केंद्र का निर्माण समाजवाद और जयप्रकाश नारायण के योगदान को याद रखने के लिए किया गया था। उद्घाटन के समय जॉर्ज फर्नांडीज, नेताजी (मुलायम सिंह यादव) और मोहन सिंह जैसे बड़े नेता मौजूद थे।”
उन्होंने सवाल उठाया कि अब इसे एलडीए को क्यों सौंपा जा रहा है, और क्या एलडीए इस संस्था की गरिमा को बचा पाएगा?
बिहार में जयप्रकाश के नाम पर वोट कैसे मांगेंगे?
सपा प्रमुख ने भाजपा को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, “जेपी का नाम बिहार से जुड़ा है, और आज भाजपा की सरकार ने उसी जेपी के नाम पर बने संस्थान को बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया है। अब वे किस मुंह से बिहार में वोट मांगेंगे?” उन्होंने कहा कि बीजेपी को केवल संस्थान बर्बाद करना आता है, संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों से उनका कोई सरोकार नहीं।
अखिलेश यादव का दर्द, क्यों कह रहे हैं ये बातें?
दरअसल, जानकारों का मानना है कि जेपीएनआईसी को लेकर अखिलेश यादव की नाराज़गी केवल एक संस्थान की इमारत को लेकर नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक वैचारिक लड़ाई भी है। जयप्रकाश नारायण भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने सत्ता के दमन के खिलाफ जनता की आवाज़ को नेतृत्व दिया था। समाजवादी विचारधारा के संस्थापकों में शामिल रहे जेपी को केंद्र में रखकर यह संस्थान समाजवादी मूल्यों का प्रतीक था।
अखिलेश यादव का कहना इसलिए भी सार्थक है क्योंकि जब भाजपा खुद को जेपी के विचारों की विरासत का दावा करती है, तो फिर जेपी के नाम से बने संस्थानों को खत्म करना या प्रशासनिक विभाग को सौंप देना केवल राजनीतिक विरोधियों को नीचा दिखाने का प्रयास प्रतीत होता है।
जेपीएनआईसी को एलडीए को सौंपे जाने से न सिर्फ विचारधारा पर हमला होता है, बल्कि यह यह संदेश भी देता है कि सत्ता में आने के बाद भाजपा उन संस्थानों को मिटा देना चाहती है जो उन्हें वैचारिक चुनौती देते हैं। ऐसे में अखिलेश यादव का यह कहना कि “हम इसे खरीदने को तैयार हैं”, यह दर्शाता है कि वह जेपी के नाम को मिटने नहीं देना चाहते — चाहे इसके लिए उन्हें सरकार से संस्थान को खरीदना ही क्यों न पड़े।
एलडीए की कार्यशैली पर भी उठाए सवाल
एलडीए की कार्यशैली पर तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि “एलडीए का बनाया हुआ बाजार कबूतरखाना जैसा दिखता है। आप कल्पना कर सकते हैं कि ऐसे विभाग को जेपीएनआईसी जैसी संस्था सौंपना कहां तक न्यायसंगत है।” उन्होंने कहा कि इस संस्थान को निजी हाथों में सौंपना बेहतर होता, समाजवादी पार्टी इसे खरीदने को तैयार है।
कानून व्यवस्था पर भी साधा निशाना
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अखिलेश यादव ने प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “प्रदेश में सबसे ज्यादा सुनार मारे जा रहे हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं, और इनमें भाजपा नेताओं की भी संलिप्तता है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी की सरकार अपराध पर लगाम लगाने में पूरी तरह विफल रही है।
तेंदुए से संघर्ष करने वाले श्रमिक को मिला सम्मान
इस मौके पर अखिलेश यादव ने हाल ही में तेंदुए से जान की परवाह किए बिना संघर्ष करने वाले एक श्रमिक को सम्मानित भी किया। उन्होंने उसे समाजवादी पार्टी की ओर से ₹2 लाख का चेक प्रदान किया और साहस का परिचय देने के लिए सराहना की।