बड़ी खबर: ‘फांसी घर’ में शिफ्ट हुआ “अतीक का बेटा अली”, 24 घंटे निगरानी.. जानें क्यों किया शिफ्ट? अब क्या?

गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद के बेटे अली अहमद की जेल में मौजूदगी ने फिर सुर्खियाँ बटोरी हैं। नैनी सेंट्रल जेल की ‘हाई‑सिक्योरिटी’ बैरक से ₹1,100 नकदी बरामद होने के बाद, उसे अलग ‘फांसी घर’ वाली सेल में शिफ्ट कर दिया गया है। अब इस सेल में उसकी 24 घंटे निगरानी की जा रही है।

छापेमारी का विवरण

मंगलवार को DIG राजेश श्रीवास्तव की रूटीन जांच के दौरान अली की हाई‑सिक्योरिटी बैरक की तलाशी ली गई।

बैरक से ₹1,100 नकद जब्त हुई, जो एक मुलाकातिए द्वारा जेल कूपन खरीदने के बहाने दी गई थी, लेकिन पैसे को छिपा लिया गया।

अली की बैरक ‘फांसी घर’ से काफी दूर और अलग रखी गई है, जहाँ अत्यधिक सुरक्षा तंत्र मौजूद है ।

जेल प्रशासन की सख्त कार्रवाई

इसी के बाद, डिप्टी जेलर कांति देवी और हेड वार्डर संजय द्विवेदी को तत्काल निलंबित किया गया। DIG ने जेलर सहित अन्य कर्मियों की भूमिका की विवेचनात्मक जांच के आदेश दिए।

यह कार्रवाई जेल प्रशासन की तुरंत प्रतिक्रिया को दर्शाती है।

‘फांसी घर’ की सुरक्षा एवं महत्व

इस हाई‑सिक्योरिटी बैरक को ‘फांसी घर’ कहा जाता है — कभी फांसी से पूर्व दोषियों को 24 घंटे यहाँ रखा जाता था। बैरक तक पहुँचने वाले सभी रास्तों पर CCTV कैमरे, चार सुरक्षा गार्ड तथा अंदर तैनात नंबरदारों की 24 घंटे निगरानी रहती है।

फांसी पर रोक लगने के बाद भी, इसे चुनिंदा मामलों में हाई‑प्रोफाइल बंदियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

अली अहमद की जेल यात्रा व कानूनी स्थिति

अली अहमद 30 जुलाई 2022 से नैनी जेल में बंद हैं, जहाँ उनकी मुलाकात केवल वकील से होती है। वह “उमेश पाल हत्याकांड” मामले में भी आरोपी हैं, मुकदमा जेल से ही चल रहा है।

पिता अतीक की मौत के बाद, IS‑227 सिंडिकेट का नेतृत्व भी कथित रूप से उन्होंने संभाला।

अली की कड़ी बनावट

अली की बैरक पर 24×7 CCTV से निगरानी जारी थी, फिर भी पैसे जेल में पहुँचने की घटना चिंता का विषय बनी। जेल प्रशासन से कई संकेत मिले हैं कि ऐसे मामले “सुरक्षा चूक” और संभवतः “मिलीभगत” की ओर इशारा करते हैं।

विश्लेषण और भावी रणनीति

यह एक स्पष्ट सुरक्षा चूक है कि निषिद्ध नकदी कैसे हाई‑सिक्योरिटी बैरक में पहुँची?

जेल प्रशासन ने तुरंत सस्पेंसन और जांच का मार्ग अपनाया—यह संकेत करता है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

ऐसी घटनाएँ जेल सिस्टम की साख और कानून‑व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।

नैनी जेल की हाई‑सिक्योरिटी बैरक में ₹1,100 नकद की बरामदगी ने जेल व्यवस्था और बंदियों की सुरक्षा को लेकर सार्वजनिक चर्चा को बढ़ा दिया है। इस गंभीर घटना ने जेल प्रशासन को सख्त कार्रवाई पर मजबूर किया है, और ‘फांसी घर’ में अली अहमद की कड़ी निगरानी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि भविष्य में कोई छूट नहीं दी जाएगी। अब यह जांच पर टिका है कि क्या यह अकेली चूक थी या कहीं गहराहट में कोई गंभीर साजिश छुपी है।

 

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