अहमदाबाद क्रैश प्लेन का ‘Black Box’ भेजा जाएगा अमेरिका ? जानिए क्यों ?

12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन गेटविक के लिए उड़ान भरी एयर इंडिया की बोइंग 787 ड्रीमलाइनर (AI171) क्रैश के बाद अब एक महत्वपूर्ण मोड़ सामने आया है — विमान के दोनों ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) अमेरिका भेजने का निर्णय लिया गया है। प्रारंभिक जांच में भारी आग लगने से रिकॉर्डर को क्षति पहुंची है, जिसके कारण भारत में डेटा रिकवरी संभव नहीं है।

क्यों अमेरिका भेजे जा रहे हैं ब्लैक बॉक्स ?

ब्लैक बॉक्स को भारी आग का सामना करना पड़ा, जिससे उस पर लगी क्षति के कारण भारत में डेटा एक्सट्रैक्शन मुश्किल साबित हो रही है। ऐसे में NTSB (National Transportation Safety Board), अमेरिका के विशेषज्ञों के पास इसे भेजकर गहन जांच कराई जाएगी।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और जांच प्रक्रिया

अमेरिकी लैब में डेटा रिकवरी प्रक्रिया के दौरान भारत का AAIB (Aircraft Accident Investigation Bureau) और ब्रिटेन का AAIB भी शामिल रहेगा, क्योंकि क्रैश में 53 ब्रिटिश नागरिक भी प्रभावित हुए थे। अमेरिकी डिब्बों को भारतीय अधिकारी की मौजूदगी में सुरक्षित तरीके से भेजा जाएगा ताकि किसी भी गड़बड़ी से बचा जा सके।

ब्लैक बॉक्स ने क्या-क्या रिकॉर्ड किया होगा ?

Flight Data Recorder (FDR): ऊँचाई, वेग, इंजन थ्रस्ट, फ्लैप्स, लैंडिंग गियर आदि तकनीकी पैरामीटर
Cockpit Voice Recorder (CVR): कॉकपिट चर्चाएं, रेडियो कॉल, अलार्म आवाजें
विमान क्रैश के बाद ‘मेडे कॉल’ रिकॉर्ड होना चमकदार सुराग साबित हो सकता है।

अन्य रिजल्टिंग जांच और अगले कदम

प्रारंभिक संकेत इंजिन फेल्योर और फ्लैप/लैंडिंग गियर की जांच दे रहे हैं।

RAM-AIR TURBINE की सक्रियता संकेत देती है कि हो सकता है इंजन में गंभीर गड़बड़ी हुई हो।

एक उच्चस्तरीय जांच समिति पहले तीन माह में प्रारंभिक रिपोर्ट देगी, जबकि पूरी जांच धीमी गति से आगे बढ़ेगी।

एकमात्र बचने वाले यात्री की भी आवाज़

एकमात्र जीवित यात्री ब्रिटिश-भारतीय विष्वाश कुमार रमेश ने माना कि वह अपनी जान बचा पाने को खुद के लिए ‘भाग्य’ मान रहे हैं। उन्होंने व्यक्तिगत दुःख जताया कि उनके पास बैठा भाई नहीं बच पाया।
ब्लैक बॉक्स के संकेतों पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय जांच से क्रैश की वास्तविक वजहों का पता चल सकेगा—चाहे वह तकनीकी विफलता हो, मानवीय चूक हो या डिजाइन त्रुटि। हादसे ने एयर इंडिया, बोइंग और नियामकों की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी है, और इससे ग्लोबल एविएशन इंडस्ट्री में भी सतर्कता बढ़ेगी।

 

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