दलित लड़की से गैंगरेप, BJP विधायक के भतीजे पर आरोप.. पुलिस ने कहा – “वो बड़े लोग, लड़ नहीं पाओगी, सुलह..”

यूपी के अमेठी जिले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक सुरेश पासी के भतीजे समेत तीन युवकों पर एक 16 वर्षीय दलित नाबालिग लड़की से गैंगरेप का सनसनीखेज आरोप लगा है। यह मामला अब राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर तूल पकड़ता जा रहा है। पीड़िता के मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

मामले की शुरुआत: FIR में छुपाई गई सच्चाई

8 जून की रात पीड़िता की मां ने मोहनगंज थाने में अपनी नाबालिग बेटी के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता जब घर लौटी तो उसने बताया कि बीजेपी विधायक के भतीजे रवि और उसके दो साथियों बाबादीन और रामबचन ने उसका अपहरण कर जंगल में गैंगरेप किया। इसके बावजूद पुलिस ने शुरुआत में केवल अपहरण और विवाह के लिए मजबूर करने की धाराओं में केस दर्ज किया, जबकि गैंगरेप के गंभीर आरोप को नजरअंदाज कर दिया गया।

परिवार का आरोप: पुलिस दबाव में सच्चाई छुपा रही थी

पीड़िता की मां का आरोप है कि आरोपी भाजपा विधायक का भतीजा होने के कारण पुलिस पर राजनीतिक दबाव था। FIR दर्ज करवाने के लिए उन्हें लगातार थाने के चक्कर लगाने पड़े। मां ने बताया, “पुलिस वाले कहते थे कि तुम बड़े लोगों से नहीं लड़ पाओगी, सुलह कर लो। यहां तक कि उन्होंने हमें पैसे और गहने वापस लेकर मामला दबाने को भी कहा।”

मजिस्ट्रेट के सामने बयान के बाद बदली धाराएं

16 जून को पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया, जिसमें उसने तीनों आरोपियों पर गैंगरेप का स्पष्ट आरोप लगाया। इसके बाद पुलिस ने तत्काल प्रभाव से केस में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64/2 (सामूहिक बलात्कार), धारा 137 (2) (अपहरण), धारा 87 (विवाह के लिए मजबूर करना) और POCSO एक्ट की धाराएं जोड़ दीं।

पुलिस का दावा: आरोपियों को जेल भेजा गया, जल्द चार्जशीट दाखिल होगी

मोहनगंज थाना प्रभारी राकेश सिंह ने बताया कि सभी तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। CO अजय सिंह ने कहा कि “अब केस की विवेचना गैंगरेप और पॉक्सो एक्ट के तहत की जा रही है और जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी।”

मां का दर्द: पुलिस ने मेरी बेटी को न्याय नहीं दिया

पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें धमकाया, बहला-फुसलाकर समझौते का दबाव बनाया और FIR में भी छेड़छाड़ की। “चार दिन तक हमें दौड़ाया गया, और फिर जब हम वन स्टॉप सेंटर गए, तब जाकर FIR लिखी गई,” उन्होंने बताया। अब पीड़िता को वन स्टॉप सेंटर में रखा गया है और कोर्ट में उसके बयान दर्ज कराए गए हैं।

थाना प्रभारी ने लगाए आरोपों को झूठा करार

मोहनगंज थाने के एसएचओ राकेश सिंह ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों को “निराधार” बताया है। उन्होंने कहा, “पीड़िता की मां की तहरीर पर FIR दर्ज की गई है। पीड़िता का बयान कोर्ट में दर्ज करवाया गया है और मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है।”

सत्ता, दबाव और पीड़िता की न्याय की लड़ाई

यह मामला उत्तर प्रदेश में सत्ता से जुड़े लोगों पर लगे यौन शोषण के गंभीर आरोपों की एक और कड़ी है, जो बताता है कि कमजोर तबकों को न्याय दिलवाने की प्रक्रिया कितनी कठिन है। अब पूरे प्रदेश की निगाहें पुलिस की जांच, चार्जशीट और न्यायिक कार्रवाई पर टिकी हैं।

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