योगा डे पर मिलता है ब्रेक, तो नमाज पर क्यों नहीं ? सपा नेता का मोदी सरकार से दो टूक सवाल, जानिए पूरा मामला

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 से पहले एक बार फिर योग कार्यक्रम को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मुरादाबाद से पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने योग दिवस पर सरकारी कर्मचारियों को दिए जा रहे विशेष ब्रेक को लेकर सवाल उठाए हैं।
योगा ब्रेक पर उठाया सवाल: नमाज पर क्यों नहीं?
डॉ. हसन ने कहा कि, “योगा डे पर ब्रेक देने की कोई आवश्यकता नहीं है। कर्मचारी चाहें तो घर से योग करके कार्यालय आ सकते हैं। जब मुसलमानों को नमाज के लिए आधे घंटे का भी ब्रेक नहीं दिया जाता तो योग के लिए विशेष ब्रेक देना कहां तक उचित है?” उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत ‘वाई-ब्रेक योगा’ सत्र लागू करने का फैसला किया है।
‘योग के विरोध में नहीं, लेकिन दोहरा रवैया स्वीकार नहीं’
पूर्व सांसद ने स्पष्ट किया कि वे योग का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन सरकार की नीतियों में पारदर्शिता और समानता होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हम योग के विरोध में नहीं हैं। यह एक अच्छी चीज है, लेकिन सरकार को दोहरा रवैया नहीं अपनाना चाहिए। अगर योगा डे पर ब्रेक दिया जा रहा है, तो फिर मुस्लिम कर्मचारियों को नमाज के लिए भी ब्रेक दिया जाना चाहिए।” यह बयान धार्मिक समानता और सरकारी नीतियों के बीच संतुलन को लेकर समाज में चल रही बहस को और हवा देता है।
ऑफिस टाइम में ब्रेक की क्या जरूरत?
एसटी हसन ने यह भी सवाल उठाया कि कार्य समय के दौरान योग के लिए ब्रेक देने की जरूरत ही क्यों है। उन्होंने कहा, “ऑफिस समय शुरू होने से पहले ही योग किया जा सकता है, तो फिर काम के समय ब्रेक देने की क्या जरूरत है?” उनका यह तर्क सरकारी कामकाज की निरंतरता और उत्पादकता पर केंद्रित है।
योग के लिए नई पहल: ‘वाई-ब्रेक योगा’
योग दिवस के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों में ‘वाई-ब्रेक योगा’ सत्र शुरू करने की घोषणा की है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों को कार्य के दौरान तनाव से राहत देना और उन्हें मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाए रखना है यह सत्र रोजाना 5 से 10 मिनट का होगा, जिसमें गर्दन, पीठ और कमर की जकड़न दूर करने वाले हल्के योगाभ्यास होंगे। साथ ही, इसमें माइंडफुलनेस और गहरी सांसों की तकनीकें भी शामिल होंगी, जो कार्यक्षमता और एकाग्रता को बेहतर बनाने में मदद करेंगी।
सरकार बनाम विपक्ष: योग दिवस पर सियासी रंग
डॉ. हसन का यह बयान योग को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की पहल पर सवाल खड़ा करता है। जहां एक ओर सरकार इसे ‘स्वास्थ्य जागरूकता’ और ‘लाइफस्टाइल सुधार’ की दिशा में अहम कदम मान रही है, वहीं विपक्ष इसे धार्मिक असंतुलन और भेदभाव का मुद्दा बना रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार आने वाले दिनों में इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या इस मुद्दे पर कोई नीतिगत बदलाव लाया जाता है।