Shocking: पूर्व में कश्मीर में तैनात फौजी, मेरठ में बेच रहा था AK-47 के कारतूस.. दबोचा तो ATS पर चढ़ाई कार

UP, ATS ने मेरठ से एक सनसनीखेज मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए सेना के एक जवान को गिरफ्तार किया है। आरोपी जवान पर आरोप है कि वह AK-47 रायफल के कारतूस बेचने जा रहा था। गिरफ्तारी के वक्त आरोपी ने कार से ATS टीम को रौंदने की भी कोशिश की, लेकिन टीम ने सतर्कता दिखाते हुए उसे मौके पर ही दबोच लिया।
पकड़ा गया जवान सेना में कार्यरत
गिरफ्तार किया गया आरोपी जवान भारतीय सेना में कार्यरत है और पूर्व में जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी तैनात रह चुका है। इस खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों में खलबली मच गई है, क्योंकि यह मामला सिर्फ अवैध हथियारों की तस्करी का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ता है।
ATS की मेरठ यूनिट ने की कार्रवाई
ATS की मेरठ यूनिट को गुप्त सूचना मिली थी कि एक संदिग्ध व्यक्ति सेना से जुड़े हथियारों के कारतूस बेचने वाला है। टीम ने योजना बनाकर जाल बिछाया और आरोपी को दबोचने के लिए मौके पर पहुंची। सूत्रों के अनुसार, आरोपी के पास से AK-47 के कई कारतूस बरामद किए गए हैं।
गिरफ्तारी के दौरान किया जानलेवा हमला
गिरफ्तारी के समय आरोपी ने बेहद खतरनाक हरकत करते हुए ATS टीम को अपनी कार से कुचलने की कोशिश की। लेकिन टीम की मुस्तैदी के चलते आरोपी को काबू में ले लिया गया। इस दौरान किसी भी अधिकारी को गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन यह घटना उसकी मंशा को साफ दर्शाती है।
सेना और ATS कर रही संयुक्त जांच
गिरफ्तारी के बाद आरोपी को स्थानीय पुलिस की मदद से हिरासत में लिया गया है और उससे कड़ी पूछताछ की जा रही है। इस मामले में सेना और ATS संयुक्त रूप से जांच कर रही हैं। यह जानने की कोशिश की जा रही है कि आरोपी के संपर्क में और कौन-कौन लोग थे और यह कारतूस कहां से प्राप्त किए गए।
मामले में दर्ज हुई FIR
इस गंभीर मामले में आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज की जा चुकी है। उस पर आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है और पूछताछ के बाद उस पर देशद्रोह जैसी धाराएं भी लग सकती हैं। सूत्रों की मानें तो आरोपी से बरामद कारतूस सरकारी गोदाम से गायब थे, जिससे सेना के सिस्टम पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
संदिग्ध गतिविधियों पर सेना की निगरानी
इस पूरे मामले में एक बार फिर यह साबित हुआ है कि सुरक्षा बलों की आपसी समन्वय और सतर्कता से देश में संभावित खतरे को टालने में मदद मिलती है। अगर समय रहते जवान पकड़ा नहीं जाता, तो यह कारतूस आतंकियों या आपराधिक तत्वों के हाथ लग सकते थे।