BJP विधायक ने खुलेआम दी 11 लाख की सुपारी.. कहा – “धर्मांतरण कराने वाले को मारो और..” भड़काऊ बयान से बवाल

महाराष्ट्र के सांगली जिले में एक महिला की आत्महत्या के बाद भाजपा विधायक गोपीचंद पडळकर द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। विधायक ने कहा कि जो व्यक्ति धर्मांतरण कराता है, उसकी हत्या करने वाले को वे व्यक्तिगत रूप से ₹11 लाख का इनाम देंगे। यह बयान न केवल विवादों में घिर गया है बल्कि कानून व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द पर भी सवाल खड़े कर रहा है।

महिला ने आत्महत्या की, ससुरालवालों पर धर्मांतरण का आरोप

घटना सांगली जिले की है जहां 28 वर्षीय महिला ऋतुजा राजगे ने आत्महत्या कर ली। परिजनों ने आरोप लगाया कि ऋतुजा के ससुराल वाले ईसाई धर्म के अनुयायी हैं और वे लगातार उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहे थे। महिला से चर्च जाने, बाइबल पढ़ने और प्रार्थना करने को मजबूर किया जा रहा था। मना करने पर उसके साथ मारपीट होती थी। इन्हीं कारणों से परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली।

विधायक गोपीचंद पडळकर का भड़काऊ बयान

घटना के बाद मीडिया से बातचीत में भाजपा विधायक गोपीचंद पडळकर ने कहा, “जो कोई धर्मांतरण करता है और अगर हमारे लोग उसे मारते हैं, तो मैं उसे व्यक्तिगत रूप से ₹11 लाख इनाम दूंगा।” उन्होंने अपने बयान में मराठी फिल्म ‘सैराट’ का उदाहरण देते हुए कहा कि जातीय भेदभाव और प्रेम संबंधों के कारण भी युवाओं की जान जाती है, और यह भी सामाजिक समस्या है।

 प्रेम, जाति और सामाजिक बंटवारे की कहानी

विधायक ने अपनी बात को मजबूत करने के लिए सैराट फिल्म का भी जिक्र किया। यह फिल्म 2016 में आई थी जिसमें एक दलित लड़का और ऊंची जाति की लड़की के प्रेम और उनकी ऑनर किलिंग को दिखाया गया था। पडळकर ने यह तुलना करते हुए धार्मिक उत्पीड़न और भावनात्मक दबाव को समाज के लिए घातक बताया।

विपक्ष ने की बयान की आलोचना, कानूनी कार्रवाई की मांग

विधायक के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस और एनसीपी नेताओं ने इसे “खुलेआम हिंसा के लिए उकसाना” बताया है। महाराष्ट्र सरकार से मांग की जा रही है कि इस बयान को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई की जाए क्योंकि यह संविधान और कानून के खिलाफ है।

पुलिस और प्रशासन की चुप्पी, जांच की मांग

अब तक इस बयान को लेकर प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ नजर आ रहा है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस बयान को भड़काऊ बताते हुए चुनाव आयोग और मानवाधिकार आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है।

संवेदनशीलता और जिम्मेदारी जरूरी

इस घटना ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर बयान देने वाले नेताओं को बेहद संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ बोलना चाहिए। वरना ऐसे बयान देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

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