रानी लक्ष्मीबाई ने की थी आत्महत्या ? नेता के बयान से मचा बवाल.. कहा – ‘वीर वो होता है जो युद्ध में मरे’

भोपाल/दतिया – कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया इन दिनों विवादों में हैं। उनका एक पुराना वीडियो सामने आया है जिसमें वे झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को लेकर विवादित टिप्पणी करते नजर आ रहे हैं। वीडियो में बरैया ने कहा है कि “रानी लक्ष्मीबाई ने आत्महत्या की थी, और आत्महत्या करने वाले को वीरांगना नहीं कहा जा सकता।” इस बयान को लेकर भाजपा नेता लोकेंद्र पाराशर ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे अक्षम्य अपराध बताया है।
वीडियो वायरल, बीजेपी ने किया तीखा हमला
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर ने बरैया के वीडियो को X (पूर्व में ट्विटर) पर शेयर करते हुए लिखा,
“18 जून को महारानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि है। इस अवसर पर इस ‘काली जुबान’ की तीखे शब्दों में निंदा करता हूं।”
पाराशर ने कांग्रेस विधायक के बयान को रानी लक्ष्मीबाई का अपमान बताया और सार्वजनिक माफी की मांग की।
बरैया का सफाई: ‘वीडियो बहुत पुराना है, किताब से लिया संदर्भ’
विवाद बढ़ता देख फूल सिंह बरैया सामने आए और अपनी सफाई में कहा कि यह वीडियो करीब दस साल पुराना है और उनके बयान का मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो भी बात कही, वह उन्होंने “बुंदेलखंड का वृहद इतिहास” नाम की किताब से पढ़ी है, जो काशीनाथ त्रिपाठी द्वारा लिखित है।
बरैया ने इस किताब का दिया हवाला
बरैया ने विस्तार से बताया कि रानी लक्ष्मीबाई का झांसी राज्य डलहौजी की हड़प नीति के तहत अंग्रेजों ने हथिया लिया था। उन्होंने बताया कि गोद लिए गए पुत्र दामोदर राव को अंग्रेजों ने उत्तराधिकारी नहीं माना और रानी को पेंशन पर रखकर झांसी से बाहर कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि 1857 में जब विद्रोह शुरू हुआ तो सिपाहियों के दबाव में रानी लक्ष्मीबाई ने नेतृत्व स्वीकार किया, और झलकारी बाई को अपने रूप में लड़ने भेजा। खुद रानी ग्वालियर की ओर चलीं, लेकिन जब वे अंग्रेजों से घिर गईं, तो कई इतिहासकारों के अनुसार, उन्होंने खुद को आग लगाकर आत्मदाह कर लिया ताकि अंग्रेज उन्हें छू न सकें।
‘वीर वो होता है जो युद्ध में मरे’, बरैया ने दोहराया अपना मत
बरैया ने अंत में कहा,
“मेरी समझ में वही वीर होता है जो युद्ध में लड़ते हुए मरे। मैंने जो पढ़ा और समझा वही कहा है। किसी को आपत्ति है तो वह अपनी परिभाषा पर कायम रह सकता है।”
झांसी और बुंदेलखंड के इतिहास का दोहरा पक्ष
बरैया ने अपने बयान में यह भी जोड़ा कि रानी लक्ष्मीबाई के साथ युद्ध में लड़ने वाली झलकारी बाई कोरी को इतिहास में पर्याप्त सम्मान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य झांसी के अन्य नायकों को भी इतिहास में स्थान दिलाना था।
राजनीतिक गलियारों में गरमाई बहस
बरैया के बयान से न केवल बीजेपी बल्कि आम जनता और इतिहास प्रेमियों में भी रोष है। सोशल मीडिया पर उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बयान से भावनाएं आहत, पर इतिहास पर बहस भी जरूरी
फूल सिंह बरैया का बयान निस्संदेह भावनात्मक रूप से संवेदनशील विषय को छूता है। जहां एक ओर यह झांसी की रानी जैसे राष्ट्रीय प्रतीक के लिए असम्मानजनक प्रतीत हो सकता है, वहीं यह इतिहास के कम चर्चित पक्षों को सामने लाने का प्रयास भी माना जा सकता है। अब देखना होगा कि कांग्रेस पार्टी इस पूरे विवाद पर क्या रुख अपनाती है।