Shocking: दोस्त की माँ ने दी धमकी, लिखाई FIR.. पुलिस ने भी किया अनसुना, डर में 10वीं के छात्र ने दे दी जान

वाराणसी के एक रीयल लाइफ ड्रामे में यह घटना सामने आई जब दसवीं कक्षा का एक छात्र पुलिस की कथित कार्रवाई के डर से फांसी लगाकर आत्महत्या करने पर मजबूर हुआ। राजस्थान समाचार पत्र के मुताबिक, यह मामला शहर के एक्सएएन कोचिंग सेंटर से जुड़ा है, जहां छात्र का कुछ सहपाठियों से विवाद था।
घटना का पूरा विवरण
वाराणसी के लंका थाने से जुड़ा यह मौक़ा, जहाँ छात्र ने कोचिंग में पढ़ने वाले दूसरे लड़कों से झगड़ा होने के बाद आत्महत्या का कदम उठाया। यह झड़प कोचिंग के कॉमन रूम या स्टडी एरिया में हुई थी, और छात्र को यह लगता रहा कि वह पुलिस के शिकंजे में फंस जाएगा।
छात्र की यह मानसिक स्थिति भय और दबाव से उत्पन्न हुई। अंततः उसने अपने जीवन का अंत चुन लिया।
पुलिस और जांच
मामला सार्वजनिक होते ही पुलिस ने जांच शुरू कर दी गई।
FIR के अनुसार, छात्र ने कोचिंग के सहपाठियों द्वारा धमकाने और मनोवैज्ञानिक दबाव के कारण आत्महत्या की राह चुनी।
सामाजिक और कानूनी पहलू
यह घटना एक चौकाने वाला संकेत है कि किस तरह छात्रों पर कोचिंग या पढ़ाई के माहौल में भी दबाव बन सकता है।
इस घटना ने शिक्षा संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य, सहपाठी व्यवहार और पुलिस कार्रवाई के डर जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर किया।
समाज के लिए क्या संदेश ?
वाराणसी में अध्ययनरत युवा का यह कदम सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि छात्रों के बीच मानसिक स्वास्थ्य, डर और सामाजिक दबाव कितने घातक हो सकते हैं। व्यवहारिक स्तर पर यह जरूरी है कि:
शिक्षण संस्थानों में काउंसलिंग व्यवस्थाएँ मजबूत हो।
छात्रों के बीच किसी भी तरह की धमकी‑जहरीली परछाईं को रोका जाए।
पुलिस कार्रवाई के डर को सही तरीके से समझा जाए—चाबी है “जानकारी और शिक्षा”।