सोनम रघुवंशी RSS विचारधारा से प्रभावित”, ये क्या बोल गए LU के एसोसिएट प्रोफेसर.. हुआ बवाल !

लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) के एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रवि कांत चंदन ने सोशल मीडिया पर एक बयान देते हुए कहा है कि “सोनम रघुवंशी और मुस्कान जैसी महिलाएँ संघी (आरएसएस) विचारधारा की उपज हैं।” यह टिप्पणी सोशल प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रही है और अब विश्वविद्यालय प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए उन्हें शो-कॉज़ नोटिस जारी किया है। डॉ. चंदन ने इस टिप्पणी से व्यापक बहस छेड़ दी है।

संघी विचारधारा और महिलाओं का बदला हुआ स्वरूप ?

डॉ. रवि कांत चंदन, जो लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, ने फेसबुक और X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि आधुनिक समय में महिलाएं अपने पतियों की हत्या तक करवाने लगी हैं। उन्होंने ऐसा आरएसएस की “हिंसा और नफ़रत” वाली विचारधारा का परिणाम बताया और सोनम व मुस्कान का नाम विशेष रूप से लेकर कहा कि यह इस विचारधारा की उपज है।

फुले-नेहरू और संघी तुलना

उन्होंने पोस्ट में लिखा कि ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं को शिक्षा और सम्मान की चेतना दी। वहीं नेहरू ने महिलाओं को किताबें और कलम थमाकर सशक्त बनाया। इसके विपरीत, डॉ. चंदन ने दावा किया कि आरएसएस ने हथियार देकर महिलाओं को हिंसा के लिए प्रेरित किया, जो गुजरात- दिल्ली दंगों में साफ दिखाई दिया।

विवादास्पद टिप्पणी और प्रशासकीय कार्रवाई

डॉ. चंदन की यह टिप्पणी किसी पहली घटना नहीं है। इससे पहले एलयू की डॉ. माद्री काकोटी और डॉ. सौरव बनर्जी को भी विवादित टिप्पणियों के लिए शो-कॉज़ नोटिस मिल चुका है। अब डॉ. चंदन को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उनकी आलोचनाओं पर सख्त विचार विमर्श हो रहा है।

सोशल मीडिया और छात्रों की प्रतिक्रिया

अभी तक छात्रों और समाज के विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रियाएँ मिल रही हैं। एक ओर कुछ लोग इसे व्यक्तिवाद और विचार की स्वतंत्रता का हनन मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक शिष्टाचार की कमी बताते हुए प्रशासन से तेज़ कार्रवाई की मांग उठ रही है।

डॉ. रवि कांत चंदन की टिप्पणियाँ एक बार फिर शैक्षिक संस्थानों में विचारों की सीमा को लेकर बहस पैदा कर रही हैं। क्या विश्वविद्यालय सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोणों की आलोचना की जगह विवाद का केंद्र बनता जा रहा है? या क्या यह केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा का परीक्षण है? विश्वविद्यालय और प्रशासन अब इस बयान के परिणामस्वरूप आगे क्या कार्रवाई करेंगे, यह देखने वाली बात होगी।

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