राजा-सोनम रघुवंशी मामले पर “नेहा सिंह राठौर” का वीडियो वायरल, कहा – “दहेज के लिए..” हुआ बवाल !

इंदौर में हुए राजा रघुवंशी हत्याकांड के बाद जहां पुलिस जांच तेज़ी से चल रही है, वहीं इस मामले में आरोपी सोनम रघुवंशी की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस केस ने न केवल लोगों को चौंकाया है, बल्कि भोजपुरी गायिका नेहा सिंह राठौर को भी प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर कर दिया है।
“औरतों को अपमानित करना गलत”
नेहा सिंह राठौर ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि,
“अगर संबंध निभ नहीं पा रहे हैं, तो तलाक लीजिए, हत्या मत कीजिए। समाज में महिलाओं को इस तरह अपमानित करना उनके साथ अन्याय है।”
विवाह संस्था पर गंभीर सवाल
उन्होंने स्पष्ट किया कि विवाहेतर संबंधों और उनके चलते होने वाली हत्याओं का इतिहास नया नहीं है। समाज को अब यह समझने की जरूरत है कि ऐसी घटनाओं के लिए सिर्फ़ महिला को दोष देना अनुचित है।
नेहा ने अपने बयान में यह भी कहा कि विवाह की व्यवस्था जितनी पुरानी है, उतनी ही पुरानी विवाहेतर संबंधों के कारण होने वाली हत्याएं भी हैं। उन्होंने समाज से अपील की कि अगर रिश्ता नहीं निभ रहा है, तो बेहतर होगा कि कानूनी तरीके से अलग हो जाएं, न कि एक-दूसरे की जान लेकर।
“महिलाएं भी अब हत्याओं में लिप्त हो रही हैं”: आंकड़ों की चिंता
नेहा राठौर ने कहा कि, “यह कहना गलत है कि केवल महिलाएं ऐसी घटनाओं में दोषी हैं। यदि आंकड़े देखे जाएं, तो पुरुषों द्वारा की गई हत्याओं की संख्या कहीं अधिक है।”
हालांकि, उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि अब महिलाएं भी इस प्रकार के अपराधों में शामिल हो रही हैं, जो समाज के लिए खतरनाक संकेत है।
“ड्रम और सूटकेस में भरने से बेहतर है अलग हो जाएं”
अपने बयान के अंत में नेहा ने एक कड़ा और भावनात्मक संदेश दिया –
“अगर साथ नहीं निभ पा रहा तो समाज की चिंता छोड़िए, तलाक लेकर अलग हो जाइए। अपनी शांति बचाइए, एक-दूसरे को फ्रिज, सूटकेस और ड्रम में भरने से बेहतर है कि समझदारी से रास्ते अलग कर लिए जाएं।”
सोशल मीडिया पर बयान हुआ वायरल, समर्थन और आलोचना दोनों मिली
नेहा का यह बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जहां कई लोग उनकी साहसिक और तटस्थ राय की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इस बयान को सोनम के बचाव के रूप में देख रहे हैं। हालांकि नेहा ने साफ किया कि उनका उद्देश्य किसी का पक्ष लेना नहीं, बल्कि समाज के भीतर चल रही असमानता और सोच पर सवाल उठाना है।