फर्जी दस्तावेजों से 22 लोगों की CCL में भर्ती.. CID की जांच में चौंकाने वाला खुलासा, ये बड़े अफसर भी कांड में शामिल

झारखंड की राजधानी रांची में एक बड़े सरकारी घोटाले का खुलासा हुआ है। सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) में 22 लोगों को फर्जी वंशावली प्रमाण पत्र और भू-अधिकार दस्तावेजों के आधार पर नौकरी और मुआवजा दिलाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए CID ने 29 मार्च 2025 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू कर दी है।

टंडवा अंचल कार्यालय पर फर्जीवाड़े का आरोप

इस घोटाले में मुख्य भूमिका टंडवा अंचल कार्यालय की मानी जा रही है। आरोप है कि टंडवा के अधिकारियों ने फर्जी वंशावली, भूमि नक्शा और भू-अधिकार दस्तावेज तैयार करवा कर सीसीएल की पिपरवार परियोजना के लिए नियुक्तियां करवाईं। जांच में यह भी सामने आया कि जमीन का नक्शा 26 साल पुराने सत्यापन के आधार पर वर्ष 2023 में बनाया गया, जो कि पूरी तरह से फर्जी निकला।

संगठित गिरोह की साजिश और अफसरों की मिलीभगत

CID जांच और छह सदस्यीय टीम की संयुक्त रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट हुई है कि यह फर्जीवाड़ा एक संगठित गिरोह द्वारा किया गया। इस गिरोह में सरकारी अधिकारी, सीसीएल कर्मी और स्थानीय दलाल शामिल थे। इन्होंने मिलकर बनावटी हस्ताक्षर, हुकुमनामा, फर्जी लगान रसीद और गलत जमाबंदी के जरिए फर्जी वंशावली तैयार की।

वास्तविक लाभार्थियों के अधिकारों पर चोट

जांच में यह भी सामने आया कि जिन लोगों को नौकरी मिली, वे वास्तव में उस भूमि से विस्थापित ही नहीं थे जिसे सीसीएल द्वारा अधिग्रहित किया गया था। इसका मतलब यह है कि वास्तविक विस्थापितों को उनका हक नहीं मिल सका, और फर्जी दस्तावेजों वाले लोगों ने सारा लाभ उठा लिया।

इन 22 लोगों को मिली फर्जी नौकरी

जिन लोगों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी मिली, उनमें सुरेन भुइया, सीमा भुइया, सरिता देवी, बुधन भुइयां, गोपी भुइयां, किशन भुइयां, पुनम कुमारी, मनोहर राम, करन भुइयां, अमित कुमार, विजय भुइयां, बिरेन कुमार भुइयां, कौलेश्वर कुमार, इस्माइल अंसारी, इब्राहिम, रिजवान, अनवर अंसारी, अफताब अंसारी, शगुफ्ता अंजुम, नुमान अंसारी, मोशीन कमल और खुर्शीद अंसल जैसे नाम शामिल हैं।

जांच में सामने आई तकनीकी खामियां और ग़लत नक्शे

मौजा कनौदा की भूमि (खाता संख्या-01, प्लॉट नंबर-40, रकबा 11.12 एकड़) का सत्यापन वर्ष 1997 में हुआ था, जबकि नक्शा 2023 में तैयार किया गया। इस नक्शे में फर्जी हस्ताक्षर भी पाए गए। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जिन व्यक्तियों को नियोजन का लाभ मिला, वे उस मौजा के निवासी तक नहीं थे और न ही कभी उनका कोई दखल-कब्जा रहा।

सोबराती मियां और पूर्व ज़मींदार बाढ़ो मियां के नाम पर फर्जीवाड़ा

घोटाले में सोबराती मियां को मौजा का निवासी और पूर्व ज़मींदार बाढ़ो मियां का वंशज बताया गया, जबकि जांच में इस दावे की पुष्टि नहीं हुई। यह भी पता चला कि अनुसूचित जाति (भुइयां जाति) के लोगों को सरकारी बंदोबस्ती की भूमि का हवाला देकर गलत तरीके से नौकरी दिलाई गई।

अब फंसेंगे CCL और अंचल कार्यालय के कई अफसर

छह सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, अंचल पदाधिकारी और सीसीएल पिपरवार क्षेत्र के महाप्रबंधक समेत कई अधिकारियों की संलिप्तता सामने आई है। अब CID इन सभी की भूमिका की विस्तृत जांच करेगी, और आने वाले दिनों में और नामों का खुलासा हो सकता है।

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