बाबा रामदेव के चक्कर में गई नेपाल के पूर्व PM की सांसदी.. लगे चौंकाने वाले आरोप, पतंजलि से है संबंध

नेपाल की भ्रष्टाचार विरोधी संस्था CIAA ने 2009–2011 तक प्रधानमन्त्री रहे माधव कुमार नेपाल पर पतंजलि योगपीठ नेपाल को सरकारी ज़मीन देने का आरोप लगाया है। इसके चलते उन पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया और उन्हें सांसद पद से वंचित कर दिया गया।
क्या कहता है CIAA?—ज़मीन के दायरे से अतिक्रमण का आरोप
CIAA का आरोप है कि 2010 में कैबिनेट की मंजूरी लेकर माधव कुमार नेपाल ने पतंजलि योगपीठ को अवैध रूप से अधिकतम कानूनी सीमा से ज़्यादा जमीन हासिल करने की अनुमति दी। कथित तौर पर, जमीन का कुछ हिस्सा महंगे दाम पर बेच दिया गया या आदान‑प्रदान कर दिया गया, जिससे देश को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
जुर्माना और सजायें—कितना जुर्माना, कितनी सज़ा?
CIAA ने नेपाल से लगभग 1.85 करोड़ नेपाली रूपए (लगभग $1.35 मिलियन) का जुर्माना वसूलने की मांग की है। दोषी पाए जाने पर उन्हें 17 साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है।
92 अन्य नामजद—मंत्रियों और अफसरों पर भी दर्ज़ कार्रवाई
केवल माधव कुमार नेपाल ही नहीं, बल्कि इस मामले में कुल 93 लोग आरोपित हैं—जिसमें पूर्व मंत्री, सचिव और राजस्व अधिकारियों समेत कई शामिल हैं। इनमें से कुछ अब नहीं रहे, पर उनके खिलाफ रिकवरी की कार्रवाई चल रही है।
नेता भूल गए?—पतंजलि का खंडन
पतंजलि योगपीठ की ओर से स्पष्ट किया गया है कि उन्होंने सरकारी जमीन नहीं ली, और सभी लेन‑देन कानूनी तरीके से संपन्न हुए। उन्हें यह मामला ‘राजनीतिक बदले की कार्रवाई’ बताया गया है।
सांसद पद से अयोग्यता — कानून की ‘ऑटोमैटिक’ कार्रवाई
नेपाल अभी संसद में सदस्य हैं, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के साथ ही नेपाल सरकार ने उन्हें सांसद पद से अयोग्य घोषित कर दिया। सज़ा या कोर्ट के अंतिम निर्णय तक वह चुनाव नहीं लड़ सकते।
माधव का पक्ष—राजनीतिक साज़िश का दावा
माधव कुमार नेपाल ने आरोपों को सिरे से नकारा है और कहा है कि वे तथ्यों के सामने आने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री केपी ओली की राजनीतिक साज़िश बताया है।
कानूनी लड़ाई शुरू, भविष्य में क्या होगा?
नेपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार का ये पहला मामला नहीं, लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई किसी पूर्व पीएम के खिलाफ पहली बार हुई है। अब अदालत में बहस चलेगी—क्या जमीन हद से अधिक दी गई? क्या लाभ होता रहा? जो भी हो, इसका फैसला न्यायिक प्रक्रिया तय करेगी।