“मैं CBI ऑफिसर बोल रहा हू..” और ठग लिए 1.02 करोड़ रुपये, कहीं आप न हो जाएं शिकार, जानिए मामला

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक चौंकाने वाला साइबर क्राइम सामने आया है, जहां ठगों ने खुद को CBI अधिकारी और जज बताकर एक प्रतिष्ठित वकील के बेटे से ₹1.02 करोड़ की ठगी की। इस गिरोह ने डिजिटल अरेस्ट और वीडियो कॉल के माध्यम से फर्जी कोर्ट की पेशी का नाटक रचकर पीड़ित को भ्रमित किया और उससे मोटी रकम वसूल ली।
कैसे रची गई ठगी की जालसाजी?
पीड़ित शरदचंद्र सक्सेना, जो शहर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता स्व. प्रकाशचंद्र सक्सेना के पुत्र हैं, को 6 मई को एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को आईपीएस अधिकारी विजय खन्ना बताया और आरोप लगाया कि शरदचंद्र के खाते से मुंबई की सेंट्रल बैंक की शाखा से ₹2.80 करोड़ का अवैध लेनदेन हुआ है। इसके बाद, 7 मई को उन्हें दिल्ली बुलाया गया, जहां राहुल गुप्ता नामक व्यक्ति ने खुद को फर्जी CBI चीफ बताया और एक वीडियो कॉल के माध्यम से फर्जी जस्टिस खन्ना की कोर्ट में पेशी करवाई गई।
एक करोड़ से अधिक की रकम कैसे हड़पी गई?
फर्जी कोर्ट की कार्यवाही के दौरान, शरदचंद्र को बताया गया कि उन्हें अपने ₹94 लाख की एफडी तोड़कर अलग-अलग बैंक खातों में जमा करने होंगे। ठगों के झांसे में आकर, उन्होंने 15 मई तक कुल ₹1.02 करोड़ विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद, 19 मई को उन्हें एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट का लेटर भेजा गया, जिसमें सभी आरोपों से बरी करने की बात कही गई और आश्वासन दिया गया कि उनकी राशि एक दिन में वापस कर दी जाएगी। जब राशि वापस नहीं आई, तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
शरदचंद्र ने शाहजहांपुर के साइबर थाने में इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई। एसपी राजेश द्विवेदी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया गया है, जो इस ठगी के पीछे के गिरोह की पहचान और गिरफ्तारी के लिए काम कर रही है।
डिजिटल अरेस्ट और फर्जी अधिकारियों से बचाव के उपाय
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि साइबर ठग अब नई-नई तकनीकों का उपयोग कर लोगों को ठगने के लिए फर्जी सरकारी अधिकारियों और कोर्ट की कार्यवाही का सहारा ले रहे हैं। आम जनता को ऐसे किसी भी कॉल, वीडियो कॉल या दस्तावेज़ पर बिना सत्यापन के विश्वास नहीं करना चाहिए। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस या साइबर क्राइम सेल को दें।