Middle Class को बड़ी राहत ! सस्ते हो गए लोन, घट गई EMI.. जानिए आपको कैसे होगा फायदा ?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम जनता को राहत देते हुए रेपो रेट में 0.50% की कटौती की है, जिससे यह अब 5.50% हो गया है। यह फैसला 6 जून को आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) की बैठक के बाद लिया गया। इसका सीधा असर आपके होम, ऑटो और पर्सनल लोन पर पड़ेगा और EMI कम हो जाएगी। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने CRR में भी 1% की कटौती की है, जिससे ₹2.5 लाख करोड़ की नकदी सिस्टम में आएगी।
2024 में तीसरी बार घटा रेपो रेट, कुल 1% की कटौती
इस साल यह तीसरी बार है जब रेपो रेट में कटौती की गई है। फरवरी में इसे 6.5% से घटाकर 6.25% किया गया था, फिर अप्रैल में 0.25% की और कटौती हुई। अब जून में 0.50% की कटौती के साथ कुल मिलाकर 1% की राहत दी गई है। यह फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है जब महंगाई नियंत्रण में है और इकोनॉमी को मजबूती की जरूरत है।
रेपो रेट घटने से कैसे मिलेगा फायदा?
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। जब यह दर कम होती है, तो बैंक भी ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर लोन देना शुरू करते हैं। इसका असर सीधे आपकी EMI पर पड़ता है — EMI घटती है, और कर्ज लेना आसान होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा हाउसिंग और ऑटो सेक्टर को मिलेगा, जहां डिमांड बढ़ेगी।
CRR में 1% की कटौती से सिस्टम में आएंगे ₹2.5 लाख करोड़
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) को 4.00% से घटाकर 3.00% कर दिया गया है। इसका अर्थ है कि बैंकों को अब अपने कुल डिपॉजिट का कम हिस्सा RBI के पास रखना होगा, जिससे उनके पास लोन देने के लिए अधिक पूंजी उपलब्ध होगी। इस एक कदम से ₹2.5 लाख करोड़ रुपये फाइनेंशियल सिस्टम में प्रवेश करेंगे।
ब्याज दरों में कटौती से रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा
रेपो रेट में गिरावट और नकदी की उपलब्धता बढ़ने से रियल एस्टेट सेक्टर को नया जीवन मिलेगा। सस्ते लोन से लोग अधिक संख्या में घर खरीदने की योजना बना सकेंगे। इससे कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रोजगार भी बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार मिलेगी।
RBI क्यों बढ़ाता या घटाता है रेपो रेट?
RBI का प्रमुख उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करना और इकोनॉमी को स्थिर बनाए रखना होता है। जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाकर मनी फ्लो को कम करता है, जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सके। वहीं, जब इकोनॉमी को सहारा देने की ज़रूरत होती है, जैसे अभी, तो RBI रेपो रेट कम करके बाजार में नकदी बढ़ाने की कोशिश करता है।
हर दो महीने में होती है मौद्रिक नीति समिति की बैठक
RBI की Monetary Policy Committee (MPC) में कुल 6 सदस्य होते हैं, जिनमें 3 RBI के होते हैं और 3 केंद्र सरकार द्वारा नामित होते हैं। MPC की बैठक हर दो महीने में होती है, यानी एक वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें आयोजित होती हैं। इस वर्ष पहली बैठक अप्रैल में और तीसरी बैठक जून में हुई।
मध्यवर्गीय परिवारों को राहत
RBI का यह फैसला ना सिर्फ मध्यवर्गीय परिवारों को राहत देगा बल्कि आर्थिक सुधारों को भी गति प्रदान करेगा। रेपो रेट और CRR में की गई कटौती के चलते बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी बढ़ेगी, निवेश बढ़ेगा और आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी। अगर आप लोन लेने का विचार कर रहे हैं, तो यह सही समय हो सकता है।