यूपी में पूजा खेड़कर पार्ट-2 : फर्जीवाड़े में सिद्धार्थ कुमार दो कदम आगे.. जुगाड़ से हुआ UPSC में दो बार चयन ?

आरक्षण का उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों को समान अवसर देना रहा है, लेकिन जब इसे भी अमीर और प्रभावशाली लोग छल से हथियाने लगें, तो यह व्यवस्था सवालों के घेरे में आ जाती है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले से सामने आया है, जो महाराष्ट्र की पूर्व IAS अधिकारी पूजा खेड़कर के फर्जीवाड़े की याद दिलाता है।
यहां निचलौल तहसील के कोठीभार थाना अंतर्गत ग्राम सोहट निवासी सिद्धार्थ कुमार सिंह ने कथित रूप से फर्जी शपथ पत्र के आधार पर EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) प्रमाण पत्र बनवाकर UPSC की प्रतिष्ठित IES परीक्षा में दो बार चयन पा लिया।
तीन बार फर्जी शपथ पत्र देकर बनवाए EWS सर्टिफिकेट
सिद्धार्थ कुमार सिंह द्वारा तहसीलदार निचलौल के समक्ष क्रमशः 21 अगस्त 2023, 8 अप्रैल 2022 और 23 सितंबर 2021 को EWS प्रमाण पत्र हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया। इन आवेदनों में दिए शपथ पत्रों में यह उल्लेख किया गया कि उनके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है और उनके पास अधिसूचित नगर निगम क्षेत्र में 100 वर्ग गज से अधिक की कोई संपत्ति नहीं है।
नगर निगम क्षेत्र में है विशाल आवासीय संपत्ति
लेकिन वहीं दूसरी तरफ जांच में सामने आया कि सिद्धार्थ का परिवार गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र के महादेव झारखंडी, टुकड़ा नंबर 3 में 2000 वर्ग गज से भी अधिक का आलीशान मकान रखता है। उनके पिता उत्तराखंड सरकार में सरकारी सेवा से रिटायर हैं और पेंशन प्राप्त करते हैं। एक बड़े भाई विकास कुमार सिंह पनियरा ब्लॉक में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। एक बहन डॉक्टर हैं और दूसरी नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने UPSC को लिखा पत्र, की कड़ी कार्रवाई की मांग
जनपद के वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी वेद प्रकाश ने UPSC अध्यक्ष को लिखे पत्र में बताया कि यह मामला पूजा खेड़कर की तरह ही धोखाधड़ी का है, जिसमें आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग के व्यक्ति ने गरीब सामान्य वर्ग के आरक्षण कोटे पर कब्जा जमाया है। उन्होंने कहा कि यह सामाजिक और नैतिक अपराध है और ऐसे मामलों में दोषियों को कठोरतम सजा दी जानी चाहिए। साथ ही, उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच और सिद्धार्थ सिंह पर UPSC से आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
EWS प्रमाण पत्र की पात्रता और नियम
भारत सरकार द्वारा संविधान के 103वें संशोधन के तहत EWS आरक्षण लागू किया गया है। इसके लिए निम्नलिखित पात्रता शर्तें निर्धारित की गई हैं:
- वार्षिक पारिवारिक आय ₹8 लाख से कम होनी चाहिए।
- ग्रामीण क्षेत्र में 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
- शहरी क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट से अधिक का फ्लैट नहीं होना चाहिए।
- नगर पालिका/नगर निगम क्षेत्र में 100 वर्ग गज से अधिक का प्लॉट नहीं होना चाहिए।
- अन्य क्षेत्र में 200 वर्ग गज से अधिक का प्लॉट नहीं होना चाहिए। यह प्रमाण पत्र केवल सामान्य वर्ग के लिए मान्य होता है, जो SC/ST/OBC में नहीं आते।
पूजा खेड़कर प्रकरण से तुलना और कानूनी पहलू
इसी साल महाराष्ट्र कैडर की प्रशिक्षु IAS अधिकारी पूजा खेड़कर ने भी आरक्षित वर्ग में फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर UPSC परीक्षा पास की थी। मामले के उजागर होने पर 31 जुलाई को UPSC ने उनका चयन रद्द कर दिया और भविष्य में किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बैठने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। उनके खिलाफ IPC की धाराएं 420, 468, 471, 120B और IT एक्ट की धारा 66D के तहत केस दर्ज किया गया।
अब तक क्या कार्रवाई हुई?
सिद्धार्थ कुमार सिंह के खिलाफ मामला गोरखपुर और महराजगंज दोनों जनपदों के जिलाधिकारियों के स्तर पर जांचाधीन है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं का कहना है कि यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो सिद्धार्थ पर भी पूजा खेड़कर जैसी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
सवालों के घेरे में EWS व्यवस्था की पारदर्शिता
यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि उस व्यवस्था की कमजोरी का उदाहरण है जिसमें अमीर वर्ग अपने प्रभाव और झूठे दस्तावेजों के बल पर गरीबों का अधिकार छीन लेता है। यदि ऐसे मामलों में तत्काल और सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो इससे ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी कर रहे हजारों अभ्यर्थियों का मनोबल टूटेगा।