5 राज्यों में हारने के बाद एक बार फिर चिंतन शिविर लगाने जा रही है कांग्रेस

2022 में हुऐ उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों के चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) ने चिंतन शिविर लगाने का फैसला किया है।

2022 में हुऐ उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित पांच राज्यों के चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) ने चिंतन शिविर लगाने का फैसला किया है। ऐसा पहली बार नहीं है कि शर्मनाक हार मिलने के बाद कांग्रेस चिंतन शिविर लगाने जा रही है।

 

इससे पहले भी सोनिया गांधी के ही अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस तीन बार ‘चिंतन शिविर’ लगा चुकी है, लेकिन एक बार भी परिणाम उसके अनुकूल नहीं आए हैं। कांग्रेस ने आखिरी चिंतन शिविर 2013 में जयपुर में लगाया था, लेकिन इसके बाद से पार्टी की परफॉर्मेंस लगातार गिरती ही जा रही है यानी ये शिविर काम नहीं आया है।

 

आइए आपको बताते हैं, कांग्रेस में जान फूंकने के लिए कब-कब लगाए गए चिंतन शिविर और क्या रहा उसका रिजल्ट

 

1998 में पचमढ़ी का चिंतन शिविर

राजीव गांधी की हत्या के 7 साल बाद कांग्रेस संगठन में गांधी परिवार की वापसी हुई और सीताराम केसरी को हटाकर सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली। सोनिया ने मध्यप्रदेश के पचमढ़ी में कांग्रेस नेताओं को एकजुट कर चिंतन शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में गठबंधन से त्रस्त कांग्रेस ने एकला चलो की नीति तय की। हालांकि, 1999 के आम चुनाव में कांग्रेस को सफलता नहीं मिली और पार्टी सिर्फ 114 सीट ही जीत सकी। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 24 दलों के गठबंधन की केंद्र में सरकार बनी।

 

2003 में शिमला का चिंतन शिविर

2003 में UP, गुजरात सहित कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार मिलने के बाद कांग्रेस ने फिर एक बार चिंतन शिविर लगाने का फैसला किया। पार्टी ने 2003 में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में चिंतन शिविर आयोजित किया। इस शिविर में कांग्रेस ने पचमढ़ी में तय नीति को पलटकर सामान्य विचारधारा के दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का फैसला किया। कांग्रेस को इस निर्णय का फायदा मिला और 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी शाइनिंग इंडिया के रथ पर सवार अटल-आडवाणी की जोड़ी को पछाड़कर केंद्र में सरकार बनाने में सफल रही। कांग्रेस के मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने।

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