गन्ना माफियाओं पर चला यूपी प्रशासन का हथौड़ा, मृत किसानों को जिंदा दिखाकर कर रहे थे कमाई

  • गन्ना माफियाओं के खेल खत्म,
  • जिले में 1522 मृत किसानों को जिंदा दिखाकर चला रहे थे पर्ची सट्टा,
  • 3772 पर्चियां भी निकली फर्जी,
  • प्रमुख सचिव के निर्देश पर शरू की गई सट्टों कि जांच,
  • कुछ किसान एक ही नाम से चला रहे थे कई शुगर मिल में गन्ना पर्ची सट्टे,
  • कुछ किसानों ने सर्वे में दिखाया गन्ने का ज्यादा रकवा,
  • 1761 किसानों के खेत मे नही मिला गन्ना,

पीलीभीत में शासन की सख्ती के बाद भी गन्ना माफिया के हौसले बुलंद हैं। फर्जी सट्टे का खेल रोककर बिचौलियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए किसानों से घोषणापत्र तो ले लिए गए, लेकिन इसमें भी खेल हो गया। जांच हुई तो फर्जीवाड़े का खुलासा सामने आया। अब तक 3772 फर्जी सट्टे मिले हैं। घोषणा पत्र से मिलान करने के बाद ऐसे किसानों के सट्टे पाए गए जिनके पास जमीन ही नहीं या फिर उनकी मौत हो चुकी है।

राजस्व विभाग के रिकार्ड से मिलान करने पर कई डबल सट्टे चलना भी पाया गया। सभी सट्टे निरस्त कर दिए गए हैं। डीसीओ ने सभी कर्मियों से घोषणापत्र का बारीकी से मिलान करने के निर्देश दिए हैं। गन्ना पेराई सत्र शुरू होने वाला है। असली किसानों से ही गन्ना खरीदने के लिए इस बार खेतिहर से उनकी उपज और जमीन के रकबा को लेकर घोषणापत्र लिए गए हैं |

फिर भी फर्जी सट्टा चलाकर औने-पौने दामों में गन्ना खरीदने वाले नहीं चूके और बिना जमीन के ही घोषणापत्र भरकर जमा करा दिए। बता दें की एक सट्टे की पर्ची पर कम से 50 क्विंटल गन्ना तौला जाता है |

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब राजस्व अभिलेखों से इनका मिलान किया गया। समिति स्तर से जांच कराई गई तो किसानों की वास्तविक जमीन से अधिक गन्ना बुवाई का रकबा दर्शा दिया गया। गन्ना विभाग के सर्वे में एक लाख 66 हजार 45 किसानों का सत्यापन किया गया था। इसमें भूमिहीन, दोहरा सट्टा, मृतक और बिना गन्ना बोए किसान निकलकर सामने आए हैं। इस तरह से अब तक सभी समितियों से 3772 फर्जी सट्टों को बंद किया गया है। अभी राजस्व रिकार्ड से मिलान कराने की प्रक्रिया जारी है। इन लोगों ने घोषणापत्र में जमीन को दर्शाया था। फर्जीवाड़ा सामने आने पर अब और गहनता से जांच के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को इसके लिए हर एक घोषणापत्र का राजस्व अभिलेखों से मिलान करने के लिए कहा गया है। ऐसे लोगों को नोटिस भी जारी किया गया और शासन के आदेश पर धारा 46 के तहत कार्रवाई भी हो सकती है। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि सट्टे काफी काफी सालों से बनते चले आ रहे है,,जो कि विभाग के बिना नही बन सकते है, इस लिये विभाग तत्कालीन कार्यवाही करते हुई बात को यही खत्म कर रही है |

शिव नारायण सिंह चौहान /ऑल इंडिया अग्रगामी किसान सभा/राष्ट्रीय सचिव ने बताया की कंप्यूटर में गलत डाटा फीड कर लिया जाता है और जो कर्मचारी हैं उनके माध्यम से गन्ना माफिया सस्ते दामों में गन्ना खरीद कर मिल को सप्लाई करते हैं | इनका एक रॉकेट है जो पीलीभीत बरेली लखनऊ तक के गन्ना विभाग के अधिकारी लिप्त हैं और शासन किसी भी भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है | हर भ्रष्ट अधिकारी का संबंध राजनीतिक लोगों से हैं | यहीं से खेल शुरू होता है सत्ता पक्ष के जो नेता हैं वह भी इसमें हाथ धोने से पीछे नहीं हैं | ना तो गन्ना माफियाओं के खिलाफ कोई कार्यवाही होती है ना तो उनको समर्थन देने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही होती है | फर्जी सट्टे बनाने वाले जो सोसाइटी के कर्मचारी हैं और गन्ना सुपरवाइजर हैं | इन्हीं के माध्यम से फर्जी सट्टे बनते हैं किसान अपने आप कंप्यूटर में थोड़ी फिट कर लेता है |
वहीँ सतविंदर सिंह कहलों( जिला अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन पीलीभीत) ने बताया फर्जी सट्टे जो भी चलते हैं यह चीनी मिल के अधिकारियों की सांठगांठ से चलते हैं | इनके जो भी कर्मचारी गांव में जाते हैं इनको सब कुछ मालूम होता है कि गांव में कौन मृतक किसान है किसका फर्जी सट्टा चल रहा है कौन दलाल है सब इन्हीं की सांठगांठ से चलता है और इनकी नॉलेज में रहता है | चीनी मिल खुद अपने स्तर से बिचौलियों को हावी करती है | गन्ना खरीदकर छोटे किसानो का शोषण करती है मेरा तो यही कहना है कि इस पर सख्ती से कार्रवाई हो |

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