नितिन गडकरी ने मोदी- शाह को क्यों लिया निशाने पर?
एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “हमारा देश धनवान है पर जनता गरीब है, आज भी भारत की जनता भूखमरी, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त है

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने देश में बेरोजगारी, भूखमरी और महंगाई के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि हम मातृ भूमि को सुखी, समृद्ध और शक्तिशाली बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश तो धनवान हो गया पर जनता गरीब है, इसलिए देश के विकास के लिए गंभीरता से सोचना होगा की किस रास्ते जाना है।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “हमारा देश धनवान है पर जनता गरीब है, आज भी भारत की जनता भूखमरी, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त है। भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसके बावजूद देश की जनसंख्या भूखमरी, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, जातिवाद और अपृश्यता का सामना कर रही है, जो कि देश की प्रगति के लिए ठीक नहीं है।”
गडकरी ने आगे कहा कि देश में गरीब और अमीर के बीच गहरी खाई है, जिसे पाटने और समाज के बीच सामाजिक व आर्थिक समानता पैदा करना जरूरी है। समाज के इन दो हिस्सों के बीच खाई बढ़ने से आर्थिक विषमता और सामाजिक असामनता की तरह है।
उन्होंने कहा, “हमारे समाज मे दो विशेषरूप से वर्गों का अंतर बहुत ज्यादा है। जिससे सामाजिक विषमता है वैसे आर्थिक विषमता भी बढ़ी है। हमारे देश में 124 जिले ऐसे हैं, जो सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं। वहां, स्कूल, अस्पताल नहीं हैं, युवाओं के लिए रोजगार नहीं हैं और गांव जाने के लिए रास्त नहीं हैं, किसानों को फसलों के सही दाम नहीं मिल रहे।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हमारे देश में शहरी क्षेत्र में ज्यादातर हम काम करते हैं इसलिए वहां ज्यादा विकास हुआ है, लेकिन 1947 में 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती थी। अब 25-30 प्रतिशत माइग्रेशन हुआ है। ये लोग जो गांव छोड़कर बड़े शहरों दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई में शिफ्ट हुए हैं। ये खुशी से नहीं मजबूरी से आए हैं क्योंकि गांवों में अच्छी शिक्षा, रोजगार नहीं हैं इस कारण लोग गांव छोड़कर शहरों में आए हैं, जिससे शहरों में भी समस्याओं का निर्माण हुआ है इसलिए भारत का विकास करने के लिए गंभीरता से सोचना होगा कि हमें किस मार्ग से जाना है।”