UP: यादव कथावाचकों की पिटाई मामले में नया ट्विस्ट, होने वाली है बड़ी गिरफ़्तारी.. कोर्ट ने दिया आदेश

उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले में एक धार्मिक आयोजन ने जातीय तनाव को हवा दे दी है। दो कथावाचकों मुकुट सिंह यादव और संत सिंह यादव पर ब्राह्मण समाज द्वारा हमला किए जाने के बाद अब कानूनी कार्रवाई की दिशा बदल गई है। शुक्रवार को ACJM कोर्ट ने कथावाचकों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है। आरोप है कि इन्होंने जाति छिपाकर भागवत कथा का आयोजन किया और फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया।
कथावाचकों को पीटा, नाक रगड़वाई और सिर मुंडवाया
21 जून को इटावा के दादरपुर गांव में भागवत कथा के दौरान कथावाचक मुकुट मणि सिंह यादव और संत सिंह यादव के साथ कथित तौर पर ब्राह्मण समाज के लोगों ने जाति के नाम पर मारपीट की। कथावाचकों का आरोप है कि जैसे ही आयोजक पप्पू बाबा को उनकी जाति के बारे में पता चला, उन्होंने करीब 50 लोगों के साथ मिलकर उनके साथ मारपीट की, उनका सिर मुंडवा दिया और महिला यजमान के पैरों में नाक रगड़वाई गई।
FIR दोनों तरफ से: मारपीट भी, जाति छिपाने का आरोप भी
जहां एक ओर पुलिस ने कथावाचकों की शिकायत पर मारपीट करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज कर चार लोगों को गिरफ्तार किया, वहीं 24 जून को महिला यजमान रेनू तिवारी ने कथावाचकों पर जाति छिपाकर कथा कहने और दो अलग-अलग आधार कार्ड दिखाने का आरोप लगाया। इसके बाद जांच झांसी पुलिस को सौंपी गई, और गिरफ्तारी से बचने के लिए कथावाचकों की अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज हो गई।
अखिलेश यादव का हस्तक्षेप: सम्मान के साथ लखनऊ बुलाया
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 22 जून को दोनों कथावाचकों को लखनऊ बुलाकर न सिर्फ सम्मानित किया, बल्कि उन्हें ढोलक और हारमोनियम गिफ्ट किए। उन्होंने 51-51 हज़ार रुपए देने का ऐलान भी किया और कहा, “ये वर्चस्ववादी लोग सिर तक मुड़वा दे रहे हैं। सरकार हार्टलेस है जो हर असंवैधानिक कार्य का समर्थन करती है।”
प्रदर्शन और पथराव: यादव संगठनों का आक्रोश फूटा
25 जून को हज़ारों की संख्या में यादव संगठनों ने दादरपुर गांव के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। जब पुलिस वहां पहुंची तो प्रदर्शनकारियों से झड़प हो गई। पुलिस की गाड़ी पर पथराव हुआ और हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। बाद में 19 लोगों को हिरासत में लिया गया।
कथावाचन के लिए ‘जाति कानून’ की मांग पर सियासी बहस
अखिलेश यादव ने सवाल उठाया, “अगर वर्चस्ववादी लोगों को कथावाचन से इतनी परेशानी है तो साफ कर दें कि पिछड़ी जातियों का दान स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार चाहे तो कानून बना दे कि केवल ऊंची जातियों के लोग ही कथावाचन कर सकते हैं।”